भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा ने पिछले एक साल में ज्यादा पैदावार देने वाली 30 किस्मों का विकास किया है. जिसमें से पांच सब्जी और फलों की किस्में हैं, जबकि 25 वैराइटी अनाजों और दलहन-तिलहन की हैं. वर्तमान में द्वारा विकसित गेहूं की किस्में लगभग 9 मिलियन हेक्टेयर में फैली हुई हैं. जबकि अन्न भंडार में उनका योगदान लगभग 40 मिलियन टन गेहूं का है. संस्थान बासमती चावल की किस्मों के विकास में भी सबसे आगे हैं. देश में बासमती चावल के 95 फीसदी से अधिक क्षेत्र में यहीं पर विकसित किस्मों की ही बुवाई हो रही है. धान की पराली जलाने और वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए संस्थान ने कम अवधि वाली किस्मों का विकास किया है. काला नमक चावल पर भी काम किया है. इस बात की जानकारी पूसा के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह ने दी है.
डॉ. सिंह संस्थान के 62वें दीक्षांत समारोह को लेकर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. दीक्षांत समारोह 9 फरवरी को भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम हॉल, पूसा में होगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि होंगी. केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. इस मौके पर कृषि विज्ञान के 26 विषयों में 5 विदेशी छात्रों सहित 543 छात्र-छात्राएं डिग्री प्राप्त करेंगे. जबकि 12 लोगों को गोल्ड मेडल के लिए चयनित किया गया है. हरित क्रांति का अग्रदूत पूसा देश की खाद्य सुरक्षा के मजबूत स्तंभों में से एक है, जिसके पास रिसर्च, एजुकेशन और एक्सटेंशन की समृद्ध विरासत है. इस मौके पर आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि गेहूं का उत्पादन पहले से अच्छा होगा, अभी तक मौसम गेहूं के अनुकूल है.
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पूसा के निदेशक डॉ. सिंह ने बताया कि संस्थान में इस समय 2,687 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. जिनमें 585 एमएससी, एमटेक, 1,385 पीएचडी, 717 यूजी और 10 अंतरराष्ट्रीय छात्र (9 पीएचडी और 1 एमएससी) शामिल हैं. कृषि शिक्षा के एक प्रमुख संस्थान के रूप में पूसा भारत और विदेश दोनों के छात्रों के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय शैक्षणिक स्थल है. इस वर्ष 47 छात्र और 7 संकाय सदस्य इंग्लैंड, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया, फिलीपींस, पुर्तगाल, जर्मनी, जापान, अमेरिका, स्पेन और ताइवान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण ले रहे हैं.
निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत पूसा में ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी शुरू करवाई गई है. इस समय 398 छात्रों को कृषि के स्नातक कार्यक्रम में प्रवेश दिया गया है. जबकि 298 छात्रों को एमएससी, एमटेक में और 408 छात्रों को 26 विषयों में पीएचडी में प्रवेश दिया गया है. प्रवेश के लिए असम, बारामती, बंगलुरु, भोपाल, कटक, हैदराबाद, झारखंड, जोधपुर, करनाल, कोलकाता, लखनऊ, नागपुर, पटना, रायपुर, रांची और शिलॉन्ग में 16 हब बनाए गए हैं. डॉ. सिंह ने बताया कि पूसा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है. इसने अफगानिस्तान राष्ट्रीय कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कंधार की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
निदेशक ने बताया कि संस्थान द्वारा दलहन की आठ किस्में जारी की गईं हैं. साथ ही चने की दो उन्नत किस्में भी जारी हुई हैं. ज्यादा इथेनॉल देने वाली मक्का की किस्में भी जारी की गई हैं. इस साल पूसा कृषि विज्ञान मेला 28, 29 फरवरी और 1 मार्च को आयोजित किया जाएगा. जिसकी थीम 'उद्यमिता से समृद्ध किसान' होगा. मेले में किसानों को नई किस्मों के धान के बीज दिए जाएंगे. जल्द ही इसके लिए ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू होगी.
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