बांग्‍लादेश में अशांति और कश्‍मीर में सेब के किसान परेशान, करोड़ों रुपये के नुकसान का खतरा  

बांग्‍लादेश में अशांति और कश्‍मीर में सेब के किसान परेशान, करोड़ों रुपये के नुकसान का खतरा  

बांग्‍लादेश में पिछले कुछ समय से राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है. इस हिंसा ने अब कश्‍मीर के उन किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं जो सेब की खेती करते हैं. पिछले महीने से जब से यहां पर हिंसा का दौर शुरू हुआ है तब से ही सेब का निर्यात मुश्किल में आ गया है. सोपोर से सेब से लदे छह ट्रकों को बांग्‍लादेश रवाना किया गया था. लेकिन हिंसा की वजह से इन ट्रकों को गुवाहाटी डायवर्ट कर दिया गया.

सेब का निर्यात (सांकेतिकतस्वीर)सेब का निर्यात (सांकेतिकतस्वीर)
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 15, 2024,
  • Updated Aug 15, 2024, 1:20 PM IST

बांग्‍लादेश में पिछले कुछ समय से राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है. इस हिंसा ने अब कश्‍मीर के उन किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं जो सेब की खेती करते हैं. पिछले महीने से जब से यहां पर हिंसा का दौर शुरू हुआ है तब से ही सेब का निर्यात मुश्किल में आ गया है. सोपोर से सेब से लदे छह ट्रकों को बांग्‍लादेश रवाना किया गया था. लेकिन हिंसा की वजह से इन ट्रकों को गुवाहाटी डायवर्ट कर दिया गया. फिलहाल यहां के किसान परेशान हैं और हिंसा रुकने का इंतजार कर रहे हैं. 

हर ट्रक को लाखों का नुकसान 

सोपोर स्थित फ्रूट मंडी के प्रेसीडेंट मुद्दस्‍सर अहमद ने बिजनेस लाइन को इस बारे में और जानकारी दी. उन्‍होंने बताया कि हर ट्रक को करीब 4 से 5 लाख तक का नुकसान झेलना पड़ा है. इन ट्रकों में सेब की शुरुआती फसल में आए एकदम लाल फल लदे हुए थे. इन सेबों का सिर्फ एक छोटा ही हिस्‍सा बांग्‍लादेश को निर्यात किया जाता है. लेकिन बांग्‍लादेश में जारी अशांति और हिंसा के दौरे ने कश्‍मीर के सेब उत्‍पादकों को मुश्किल में डाल दिया है. 

अमेरिकी वैरायटी है पहली पसंद

सोपोर में अमेरिकन एप्‍पल की खेती होती है और इसकी फसल तैयार हो चुकी है. पिछले हफ्ते से इसकी कटाई शुरू हुई है. सेब की इस वैरीयटी को नेपाल और बांग्‍लादेश में निर्यात किया जाता है. मुद्दस्‍सर अहमद ने कहा कि हर साल दो से तीन माह तक ट्रेड जारी रहता है. इस सेब की वैरायटी को इसके क्रंची और जूसी फ्लेवर की वजह से बांग्‍लादेश और नेपाल में काफी पंसद किया जाता है. उनकी मानें तो अगर बांग्‍लादेश में हालात जल्‍दी नहीं सुधरे तो फिर इसका कश्‍मीर की सेब इंडस्‍ट्री पर काफी गहरा प्रभाव पड़ेगा. उनकी मानें तो इसकी वजह से घाटा करोड़ों में होगा.  

किस साल हुआ कितना निर्यात  

सिंतबर से नवंबर तक फसल कटाई का सीजन होता है. हर साल इस दौरान सोपोर से 20 से 30 ट्रक जिनमें करीब 3000 बॉक्‍सेज होते हैं, बांग्‍लादेश भेजे जाते हैं. दिल्‍ली की आजादपुर मंडी के बाद सोपोर एशिया की दूसरी सबसे बड़ी होलसेल मार्केट है. आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो साल 2023-2024 में करीब1,87,000 बॉक्‍सेज यानी 2519 टन सेब बांग्‍लादेश को निर्यात किए गए थे. जबकि साल 2022-2023 में यही आंकड़ा 7,23,600 बॉक्‍सेज या 7,785.6 टन था. 

अभी भी कायम है उम्‍मीद 

मोहम्‍मद अशरफ जो सेब की खेती करते हैं उनका कहना है कि बांग्‍लादेश की हिंसा का अमेरिकन वैरायटी पर सबसे खराब असर पड़ने वाला है. मंजूर अहमद जो सेंट्रल हॉर्टीकल्‍चर प्‍लानिंग एंड मार्केट के डायरेक्‍टर हैं, उन्‍होंने उम्‍मीद जताई है कि जल्‍द चीजें ठीक होंगी. उन्‍होंने कहा, 'हमारे पास अभी 10 से 15 दिन है जब फसल की कटाई पूरी हो जाएगी और हम उम्‍मीद करते हैं कि तब तक बांग्‍लादेश में स्थिति सामान्‍य हो जाएगी.' 

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