Maharashtra Farmers: नैचुरल खेती करने वाले महाराष्‍ट्र के किसान भारत को कैसे बनाएंगे ग्‍लोबल लीडर, जानें 

Maharashtra Farmers: नैचुरल खेती करने वाले महाराष्‍ट्र के किसान भारत को कैसे बनाएंगे ग्‍लोबल लीडर, जानें 

राज्‍य के कोल्हापुर, सतारा, नासिक, अहमदनगर, बीड और गोंदिया जैसे जिले खेती के खास हब के तौर पर उभरे हैं. राज्य में एक मजबूत इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क है जिससे इसको काफी फायदा हो सकता है. इसमें एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र और किसान प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन का बढ़ता नेटवर्क शामिल है.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 29, 2025,
  • Updated Dec 29, 2025, 12:25 PM IST

भारत एक ऐसा देश है जहां पर बायोडायवर्सिटी बहुत ज्‍यादा है. यहां दुनिया की करीब  8 फीसदी प्रजातियां और 7,000 से ज्‍यादा मेडिसिनल पौधे पाए जाते हैं. इतनी दौलत के बावजूद, मेडिसिनल और एरोमैटिक पौधों (MAPs) के ग्लोबल ट्रेड में देश का हिस्सा बहुत कम है. विशेषज्ञों की मानें तो इस बायोलॉजिकल फायदे को इकोनॉमिक ग्रोथ में बदलने के लिए प्रोडक्शन, क्वालिटी और मार्केट लिंकेज में लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का सामना करना होगा. वहीं देश में एक ऐसा राज्‍य भी है जहां पर इसके लिए काफी संभावनाएं मौजूद हैं और यह राज्‍य है महाराष्‍ट्र. 

मेडिसिनल फार्मिंग के आदर्श 

महाराष्‍ट्र मैप की खेती में कई जगहों पर अग्रणी राज्‍य बना हुआ है. राज्‍य के कई हिस्‍से नैचुरल और मेडिसिनल फार्मिंग के लिए मुफीद हैं. महाराष्‍ट्र के अलग-अलग तरह के इलाके, हरे-भरे वेस्टर्न घाट से लेकर मराठवाड़ा और विदर्भ के सूखे इलाकों तक, हल्दी, अश्वगंधा, सेन्ना पत्ती, सफेद मूसली, लेमनग्रास और वेटिवर जैसी कई तरह की फसलों को सपोर्ट करते हैं.

राज्‍य के कोल्हापुर, सतारा, नासिक, अहमदनगर, बीड और गोंदिया जैसे जिले खेती के खास हब के तौर पर उभरे हैं. राज्य में एक मजबूत इंस्टीट्यूशनल फ्रेमवर्क है जिससे इसको काफी फायदा हो सकता है. इसमें एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कृषि विज्ञान केंद्र और किसान प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन का बढ़ता नेटवर्क शामिल है. ये इंस्टीट्यूट्स किसानों को साइंटिफिक खेती के तरीके अपनाने और प्रोडक्शन को मार्केट से जोड़ने में मदद करते हैं. 

क्‍या कर रही है सरकार 

महाराष्‍ट्र की पोर्ट और प्रोसेसिंग सेंटर से नजदीकी एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड वैल्यू चेन के लिए इसकी क्षमता को और मजबूत करती है. महाराष्‍ट्र की सरकार की तरफ से भी उन किसानों को  प्रोत्‍साहित किया जा रहा है जो नैचुरल फार्मिंग में आगे बढ़ रहे हैं. महाराष्‍ट्र की विविध भूमि और जलवायु प्रोफाइल जैसे कोकण, सह्याद्री, पठार और मैदानी इलाकों का इलाका राज्‍य को मेडिसिनल और सुगंधित पौधों के उच्च गुणवत्ता उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाता है. इससे किसानों को नई आय के अवसर मिलेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो सकेगा 

राज्‍य बनेगा अगला हब 

कुछ समय पहले महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक खास मिशन लॉन्‍च किया है जो नैचुरल फार्मिंग से ही जुड़ा है.मिट्टी से सस्टेनेबिलिटी तक, इस वादे पर आगे बढ़ते हुए सीएम फडणवीस ने दावा किया है कि है महाराष्‍ट्र नेचुरल फार्मिंग का अगला हब बनेगा. राज्‍य सरकार की मानें तो केमिकल फर्टिलाइजर और बीजों के बहुत ज्‍यादा इस्तेमाल से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम हुई है और इनपुट कॉस्ट बढ़ी है, लेकिन नेचुरल फार्मिंग इनपुट कॉस्ट कम कर सकती है, मिट्टी की सेहत ठीक कर सकती है.साथ ही नेचुरल रिसोर्स का इस्तेमाल करके प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकती है. 

सरकार की तरफ ट्रेनिंग 

साल 2014 में शुरू हुए महाराष्‍ट्र के नेचुरल फार्मिंग मिशन ने 14 लाख हेक्टेयर को नेचुरल फार्मिंग के तहत लाया गया है. साल 2023 में राज्‍यपाल के मार्गर्शन के बाद राज्य ने इसे 25 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का फैसला किया. खेती पर क्लाइमेट चेंज के असर को दूर करने के लिए पूरी तरह से नेचुरल फार्मिंग की ओर बढ़ना जरूरी है.महाराष्‍ट्र सरकार और कृषि विशेषज्ञ मिलकर नैचरुल फार्मिंग को एक सिस्टमेटिक फ्रेमवर्क के रूप में लागू कर रहे हैं. सरकार की तरफ से पॉलिसी के अलावा ट्रेनिंग, वैज्ञानिक सहायता और मार्केटिंग नेटवर्क को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि इसे एक मिशन मोड में बदला जा सके. 

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