महाराष्ट्र में प्याज और टमाटर के बाद अब मिर्च के दाम में भी भारी गिरावट हुई है. यहां का नंदुरबार जिला राज्य में सबसे बड़े मिर्च उत्पादक के रूप में जाना जाता है. लेकिन, इस समय यहां के किसान कम दाम को लेकर बेहाल हैं. पिछले कुछ दिनों में यहां पर दाम 15 रुपये प्रति किलो तक गिर गए हैं. पहले किसानों को 40 से 50 रुपये किलो का दाम मिलता था जो अब घटकर 25 से 35 रुपये प्रति किलो तक रह गए हैं. दाम में इतनी बड़ी गिरावट से मिर्च उत्पादक किसान काफी परेशान हैं. जुलाई में मिर्च का दाम 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था. तब इसके दाम को लेकर हायतौबा मची हुई थी. लेकिन, अब टमाटर की तरह इसके दाम भी गिर गए हैं तो कोई किसानों से इसकी खेती में घाटे के बारे में नहीं पूछ रहा.
फिलहाल, इस वर्ष जिले में छह हजार हेक्टेयर से अधिक एरिया में मिर्च की खेती की गई है. हरी मिर्च की नई फसल की आवक शुरू हो गई है. ऐसे में कीमत में 20 रुपये की गिरावट होने से जिले के मिर्च उत्पादक किसान संकट में हैं. उत्पादन लागत भी नहीं निकल रही है. अहमदनगर में मिर्च का दाम 10 रुपये किलो रह गया है जबकि औसत दाम 27.5 रुपये रह गया है. औरंगाबाद में न्यूनतम दाम 14 और औसत 24.5 रुपये प्रति किलो है.
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नंदुरबार जिला हरी और लाल मिर्च के उत्पादन के लिए महाराष्ट्र में जाना जाता है. पिछले साल अच्छी कीमत के कारण इस बार मिर्च के क्षेत्र में वृद्धि हुई है. यानी बुवाई बढ़ गई है. किसानों को उम्मीद थी कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी दाम में तेजी रहेगी, लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. नई फसल की मिर्च बाजार में आनी शुरू हो गई है. शुरुआत में ही दाम में कमी होने से मिर्च उत्पादक किसान परेशान हैं. किसानों का कहना है कि व्यापारी मनमाने ढंग से मिर्च के दाम कम कर रहे हैं. जबकि उत्पादन लागत बढ़ गई है.
किसानों का कहना है कि पंद्रह दिन पहले मिर्च का दाम 35 से 50 रुपये किलो तक मिल रहा था, लेकिन अब अचानक दाम 15 रुपये किलो तक गिर गए हैं. जहां 10 रुपये किलो का दाम मिल रहा है वहां पर लागत भी निकालना मुश्किल हो रहा है. किसानों का कहना है कि खेती की लागत और खेत से मिर्च निकलवाने में जो खर्च आता है, उसके मुकाबले दाम नहीं मिल रहा है. प्याज और टमाटर के बाद मिर्च की कीमतों में अचानक आई कमी से किसान निराश हैं. उनकी मांग है कि सरकार मिर्च का न्यूनतम दाम फिक्स करे.
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