इस साल मॉनसून में बारिश के खराब रुख के कारण कई इलाकों में खेत बिल्कुल खाली पड़े हैं. किसान चाहें तो इन खेतों में सालों साल आमदनी कमाने वाली मशीन लगा सकते हैं. हम बात कर रहें कटहल की. जिसकी मांग देश-विदेश में बनी रहती है. कटहल को कच्चा और पका दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. देश में कटहल की बड़े पैमाने पर खेती होती है. इतनी बड़ी संख्या में खेती और उत्पादन के कारण ही दुनियाभर में इसका डिमांड और निर्यात भी बढ़ता जा रहा है. कटहल को विश्व का सबसे बड़ा फल भी कहते हैं. कटहल का इस्तेमाल फल और सब्जी दोनों के रूप में किया जाता है.
इसमें कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद हैं. ऐसे में किसानों के लिए कटहल जुलाई-सितंबर में की जाने वाली किस्मों की खेती कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है.
अगर आप इस मॉनसून किसी बागवानी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप कटहल की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इस उन्नत किस्मों में खजवा, सिंगापुरी, रूद्धाक्षी , स्वर्ण मनोहर और स्वर्ण पूर्ति आदि किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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खजवा किस्म: कटहल का खजवा किस्म सब्जी की बजाय फल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इसके फल जल्दी पक जाते हैं. ये किस्म उच्च पैदावार देने के लिए जाना जाता है. वहीं इसके एक फल का वजन 25 से 30 किलो होता है, इसके फल पकने के बाद सफेद, मुलायम और रसीले हो जाते हैं.
स्वर्ण मनोहर किस्: कटहल की यह किस्म अधिक पैदावार वाली होती है. इसके पेड़ तो छोटे होते हैं, लेकिन फल अधिक संख्या में लगते हैं. फल लगने के 20-25 दिन बाद ही पेड़ से सब्जी के लिए अच्छी संख्या में कटहल तोड़कर बेचे जा सकते हैं.
स्वर्ण पूर्ति किस्म: कटहल की यह किस्म सब्जी के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसके फल छोटे आकार के कम रेशे और बीज वाले होते हैं. इसलिए इसकी सब्जी स्वादिष्ट बनती है. इसके फल देर से पकते हैं. यह सब्जी के लिए एक उपयुक्त किस्म है. इसका फल छोटा यानी तीन से चार किलो का होती है. इस किस्म के फल देर से पकने के कारण लंबे समय तक सब्जी के रूप में उपयोग किये जा सकते हैं.
सिंगापुरी किस्म: इस किस्म के पौधों को पके हुए फल के तौर पर अधिक उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे रोपाई के सात से 10 साल बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पोधों से निकलने वाले फलों का गूदा देखने में पीला और स्वाद में मीठा होता है. इसके फल का वजन सात से 10 किलो तक का होता है.
रूद्धाक्षी किस्म: इस किस्म के एक कटहल का वजन लगभग पांच किलो का होता है. यह सब्जियों के लिए सबसे उपयुक्त किस्म माना जाता है. दक्षिण भारत में इसकी व्यापक रूप से खेती की जाती है.