कबीट फल से गुलजार हुआ आगर मालवा, साल में करोड़ों रुपये का होता है व्यापार

कबीट फल से गुलजार हुआ आगर मालवा, साल में करोड़ों रुपये का होता है व्यापार

कबीट को पहले पेड़ से तोड़ा जाता है. इसके बाद धूप में सूखाने के लिए इसकी कटाई की जाती है. इस फल की ऊपरी परत काफी सख्त होती है. लेकिन इसके अंदर का हिस्सा कुछ मुलायम होता है. इसे बोलचाल की भाषा में गिर कहा जाता है.

कबीट फल की कटाई करते मजदूर.कबीट फल की कटाई करते मजदूर.
क‍िसान तक
  • Agar Malwa ,
  • Feb 12, 2024,
  • Updated Feb 12, 2024, 5:10 PM IST

मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में इस समय कबीट की बहार देखने को मिल रही है. मैदानी इलाकों में कबीट की कटाई के बाद अभी उसे सुखाया जा रहा है. किसानों का कहना है कि इस साल उन्हें कबीट से बेहतर कमाई की उम्मीद है. दरअसल आगर मालवा जिला और उसके आसपास इलाकों में किसान बड़े स्तर पर कबीट की खेती करते हैं. यह फल मालवा के अलावा महाराष्ट्र में भी उगाया जाता है.

अगर कीमत की बात करें, तो इसका थोक रेट अभी 100 रुपये किलो से अधिक है. जबकि, खुदरा मार्केट में आते- आते इसकी कीमत और बढ़ जाती है. किसानों का कहना है कि इस साल कबीट की बंपर पैदावार हुई है. ऐसे में कमाई भी अच्छी होगी. खास बात यह है कि कबीट एक तरह का आयुर्वेदिक फल है. इससे कई तरह की आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती हैं.

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ऊपरी परत होती है काफी सख्त

कबीट को पहले पेड़ से तोड़ा जाता है. इसके बाद धूप में सूखाने के लिए इसकी कटाई की जाती है. इस फल की ऊपरी परत काफी सख्त होती है. लेकिन इसके अंदर का हिस्सा कुछ मुलायम होता है. इसे बोलचाल की भाषा में गिर कहा जाता है. मजदूर फल की कटाई करने के बाद अंदर से गिर को ही निकालते हैं. फिर गिर की सफाई के बाद उसे धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद मंडियों में इसे बेचा जाता है.

 

चटनी और अचार भी बनाए जाते हैं

वैसे तो कबीट देश भर में बहुत कम मात्रा में पाया जाता है, मगर मालवा में इसके अधिक पेड़ पाए जाते हैं. कबीट का सर्वाधिक उपयोग औषधीय दवाइयां बनाने में किया जाता है. इसके खाने से हृदय रोग और मधुमेह जैसी समस्याओं से निजात मिलता है. साथ ही पाचन तंत्र के लिए यह बहुत उपयोगी माना जाता है. इसकी चटनी और अचार भी बनाए जाते हैं. मालवा क्षेत्र और आगर मालवा में इस समय मैदानी इलाकों में कबीट के बड़े- बड़े ढेर दिखाई दे रहे हैं.

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किसानों के घर का चूल्हा जलता है

खास कर आगर मालवा जिले में कबीट का बहुत बड़ा बाजार है. हर साल करोड़ों रुपये का व्यापार होता है. कहा जाता है कि कबीट की खेती से सैंकड़ों किसान जुड़े हुए हैं. कबीट के पैसे से इन किसानों के घर का चूल्हा जलता है. (रिपोर्ट: प्रमोद कारपेंटर)

 

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