देश के कपास उत्पादक किसानों को 2021 में रिकॉर्ड 14000 रुपये प्रति क्विंटल तक का रेट मिला था, लेकिन उसके बाद दाम गिरता चला गया. इसलिए इस साल इसका रकबा काफी कम हो गया है. कॉटन किसानों का कहना है कि जब दाम अच्छा मिलता है तभी किसान खेती बढ़ाते हैं. कॉटन उत्पादन में गुजरात प्रथम और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है. महाराष्ट्र में इस साल भी किसान अच्छे भाव की उम्मीद करके बैठे हैं, क्योंकि इस समय लगभग एमएसपी जितना भाव मिल रहा है. देश में कपास की खेती कम होने का अनुमान है, लेकिन महाराष्ट्र में इसका रकबा बढ़ने की बात कही जा रही है. क्योंकि किसानों को उम्मीद है कि यहां की मंडियों में भाव ठीक रह सकता है.
कृषि मंत्रालय ने पिछले दिनों जो आंकड़ा प्रकाशित किया है उसके अनुसार कॉटन की खेती इस साल 3.86 लाख हेक्टेयर कम हो गई है. इस बार 123.87 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है, जबकि पिछले साल 127.73 लाख हेक्टेयर में खेती की गई थी. आंध्र प्रदेश में (2.49 लाख हेक्टेयर) और तेलंगाना में (2.11 लाख हेक्टेयर) खेती कम हुई है. जबकि गुजरात में (1.33 लाख हेक्टेयर), राजस्थान में (1.08 लाख हेक्टेयर) और महाराष्ट्र में (0.05 लाख हेक्टेयर) एरिया बढ़ा है.
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कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया का मुम्बई में कार्यालय है. इससे मिले आंकड़े के अनुसार 2022-23 में गुजरात 1516000 टन उत्पादन हुआ है. दूसरी ओर महाराष्ट्र में 1280000 टन उत्पादन हुआ है. हालांकि महाराष्ट्र में बारिश और गुलाबी सुंडी से फसल का नुकसान भी हुआ था. कारपोरेशन चाहता है कि उत्पादन ज्यादा हो, जिससे दाम एमएसपी से ज्यादा न हो.
केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कपास की एमएसपी 7020 रुपये जबकि मध्यम रेशे के कपास की एमएमपी 6620 रुपये क्विंटल तय की है. हालांकि, कपास की उत्पादन लागत को देखते हुए राज्य के किसान 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव मांग रहे हैं. देखना है कि इस बार किसानों की उम्मीद पूरी होती है या फिर उन्हें निराशा हाथ लगती है. किसान तो उम्मीद कर रहे हैं कि दाम अच्छा मिलेगा. अच्छे भाव की उम्मीद में 2022 में काफी किसानों ने कपास स्टोर करके रखा था, जिससे उन्हें नुकसान हो गया.
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