केले के उत्पादन में बिहार का योगदान पूरे देश में 06 प्रतिशत है. सूबे के करीब बारह जिलों में बड़े स्तर पर केले की खेती होती है. फिर भी राज्य में केले की जरूरत आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्य पूरा कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल छठ पर्व के दौरान भी देखने को मिल रहा है. छठ पर्व पर हाजीपुर के चिनिया केले की काफी मांग रहती है. केले के कारोबारियों का कहना है कि हाजीपुर की मंडियों में भी आंध्र प्रदेश के केले पहुंच रहे हैं. इस छठ पर्व के दौरान बीते तीन दिनों में बिहार की सबसे बड़ी मुसल्लहपुर (बाजार समिति) फल मंडी में अस्सी से अधिक गाड़ी आंध्र प्रदेश से चिनिया केला लेकर आई है. वहीं पूरे बिहार के लिए आंध्र प्रदेश से 180 के आसपास सोलह चक्का ट्रक केला लेकर फल मंडियों में पहुंचे हैं.
वैसे तो बिहार में तीन कृषि रोड मैप के बाद चतुर्थ रोड मैप भी लागू कर दिया गया है. उसके बावजूद केले की आधुनिक खेती और उत्पादन के ग्राफ में इतना इजाफा नहीं हो पाया है कि राज्य केले में आत्मनिर्भर हो सके. अगर सरकार के आंकड़ों पर नज़र डालें तो बिहार में केले का उत्पादन हर साल लगभग 19 लाख मीट्रिक टन है. इसका क्षेत्रफल लगभग 43 हजार हेक्टेयर से अधिक है. राज्य की सरकार अगले वर्ष केले की खेती 60 हजार हेक्टेयर तक लक्ष्य निर्धारित कर चुकी है. वहीं बिहार के केले हाल के समय में यूएई, सऊदी अरब, ओमान, बहरीन, कतर और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में भेजे जा चुके हैं.
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मुसल्लहपुर फल मंडी में केले की खरीद बिक्री करने वाले विकास कुमार कहते हैं कि छठ महापर्व को लेकर पटना के केला मंडी में बुधवार से शुक्रवार के बीच आंध्र प्रदेश और बंगाल से करीब 140 से अधिक गाड़ियां आ चुकी हैं. फिर भी यह पिछले साल की तुलना में कम है क्योंकि इस बार वहां भी फसल अच्छी नहीं हुई है. पर्व के दौरान केले की इतनी मांग है कि हाजीपुर की फल मंडी में भी आंध्र प्रदेश से चिनिया और मुठिया केला पहुंच रहा है.
बिहार का केला लोकल बाजार की जरूरत तक को पूरा नहीं कर पा रहा है. विकास कुमार बताते हैं कि पिछले साल हाजीपुर का केला दो पिकअप में भरकर आया था. लेकिन इस साल वह भी नहीं आ पाया है. आंध्र प्रदेश के एक ट्रेक केले की कीमत पांच से छह लाख के आसपास है. वहीं इस बार आंध्र प्रदेश का चिनिया केला 450 से 700 रुपये प्रति गुच्छा (घौद) बिक रहा है जबकि बंगाल से आया केला 350 से 500 रुपये प्रति गुच्छा होलसेल में बिक रहा है.
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केला व्यापारी सत्या कुमार और सुशील कुमार कहते हैं कि इस बार जलवायु परिवर्तन का असर केले की खेती पर भी देखने को मिला है. बाजार में हाजीपुर का केला बहुत कम आया है. वहीं मौसम की मार आंध्र प्रदेश के केले पर भी पड़ा है. इसके बावजूद वहां से केला बड़े पैमाने पर आ रहा है. सत्या कुमार कहते हैं कि यह कहना ग़लत नहीं है कि अगर आंध्र प्रदेश से फल, मछली,अंडा सहित अन्य सामान नहीं आए तो बिहार की सबसे बड़ी फल मंडी, मछली मंडी बंद हो जाएगी. बिहार का ऐसा कोई फल नहीं है जो अपने राज्य की जरूरत को पूरा कर सके. वहीं व्यापारी सुशील कुमार कहते हैं कि आंध्र प्रदेश से एक ट्रक केला मंगवाने में करीब डेढ़ लाख रुपये तक का खर्च आ रहा है. अगर बिहार में केले का उत्पादन अधिक होता तो यह पैसा बच जाता.