बैंगन एक ऐसी सब्जी है, जिसकी डिमांड मार्केट में हमेशा रहती. इसकी कीमत भी लगभग महेशा एक जैसी ही रहती है. बैंगन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सब्जी और भरता के रूप में किया जाता है. इसकी खेती भी लगभग पूरे देश में होती है. अभी बैंगन की बुवाई का सीजन चल रहा है. कई किसानों ने तो बैंगन की बुवाई अक्टूबर महीने में ही कर दी है. लेकिन बहुत से किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अभी तक इसकी खेती शुरू नहीं की है. ऐसे में आज हम उन किसानों को बैंगन की तीन ऐसी किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनकी बुवाई करने पर कम लागत में बंपर पैदावार होगी.
कृषि एक्सपेर्ट की माने तो बैंगन की बुवाई करने से पहले उसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना जरूरी होता है. अगर किसान उन्नत किस्म का चुनाव नहीं करेंगे, तो अधिक मेहनत करने के बाद भी उन्हें उतना अधिक फायदा नहीं होगा, क्योंकि बैंगन के पौधों में रोग बहुत अधिक लगते हैं. इसलिए बुवाई करने से पहले उन किस्मों का चुना करें, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो. साथ ही कम समय में फसल तैयार हो जाए, जिससे अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके. ऐसे पूसा परपल राउंड, पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा हाईब्रिड-6 और पूरा परपल लोंग सहित कई बैंगन की प्रमुख किस्में है, जिनकी बुवाई करने पर बंपर उपज होती.
पूसा पर्पल क्लस्टर किस्म: पूसा पर्पल क्लस्टर किस्म बैंग की एक बेहतरीन किस्म है. इसकी पैदावार भी बहुत अधिक होती है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके बैंगन आयताकार आकार के होते हैं और गुच्छों में फलते हैं. वहीं, बैंगन की लंबाई 10 से 12 सेमी तक होती है. पूसा पर्पल क्लस्टर किस्म जीवाणु विल्ट रोधी है. यानी इस किस्म की फसल के ऊपर जीवाणु विल्ट का कोई असर नहीं पड़ता है.
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पूसा पर्पल राउंड किस्म: बैंगन का यह किस्म किसानों के बीच काफी फेमस है. मार्केट में मिलने वाले इस बैंगन का आकार गोल होता है. जबकि कलर बैंगनी होता है. इस किस्म के महज एक फल का वजन 130 से 140 ग्राम तक होता है. खास बात यह है कि पूसा पर्पल राउंड किस्म के पौधों की लंबाई काफी अधिक होती है. जबकि, इसका तना मजबूत और हरे- बैंगनी रंग का होता है. इसकी उत्पादन क्षमता 25 से 27 टन प्रति हेक्टेयर है.
पूसा हाईब्रिड 6: पूसा हाईब्रिड 6 बैंगन की एक संकर किस्म है. इसका फल गोल और चमकदार होता है. इसके एक फल का वजन 200 ग्राम होता है. इसकी फसल 85 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी पैदावार 40 से 60 टन प्रति हेक्टेयर है. अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं, तो लाखों रुपये का फायदा होगा.
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