40 साल बाद पंजाब के कई गांवों में पहुंचा नहर का पानी, अब सैकड़ों एकड़ में लगी फसल की समय पर होगी सिंचाई

40 साल बाद पंजाब के कई गांवों में पहुंचा नहर का पानी, अब सैकड़ों एकड़ में लगी फसल की समय पर होगी सिंचाई

अमलोह के मल्लोवाल गांव में नहर के पानी के आउटलेट का 5 किलोमीटर का हिस्सा 40 साल से अतिक्रमण की वजह से बंद था. सरकारी हस्तक्षेप से रास्ता साफ हो गया और अब नहर का पानी भरपुरगढ़ और मल्लोवाल गांवों में कम से कम 300 एकड़ जमीन की सिंचाई करता है.

अब नहर के पानी से किसान करेंगे सिंचाई. (सांकेतिक फोटो)अब नहर के पानी से किसान करेंगे सिंचाई. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 29, 2024,
  • Updated Jun 29, 2024, 2:12 PM IST

पंजाब के पटियाला और फतेहगढ़ साहिब के किसानों के लिए खुशखबरी है. इन दोनों जिलों के कई गांवों में 40 साल बाद नहर का पानी पहुंचा है. अब इन गांवों के किसान नहर के पानी से फसलों की सिंचाई फिर से करेंगे. घुजेरहेड़ी गांव के 35 वर्षीय निवासी मनजीत सिंह ने कहा कि गांव में नहर का पानी आने से वे काफी खुश हैं. अब उन्हें सिंचाई में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. वे 12 एकड़ जमीन की सिंचाई नहर के पानी से ही कर रहे हैं. उनका कहना है कि बचपन से ही हम ट्यूबवेल के जरिए खेतों की सिंचाई करते आ रहे हैं. पिछले कुछ सालों में पानी कम होने लगा. ऐसे में अधिकारियों के सहयोग से हमने अतिक्रमण की गई जमीन को साफ किया और नाला बनाया, जिससे नहर का पानी आ रहा है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, मनजीत सिंह ने कहा कि पहले करीब 50 ट्यूबवेल से 200 एकड़ से ज्यादा जमीन की सिंचाई होती थी, लेकिन अब हम नहर के पानी का इस्तेमाल करते हैं. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, वर्तमान में धान की रोपाई के मौसम में राज्य भर में 13.94 लाख ट्यूबवेल हैं, जो जमीन से पानी निकालते हैं. हालांकि, गोवारा और रायपुर के गांवों में हालात बेहतर हुए हैं, जहां भूमिगत पाइपों ने लगभग 350 ट्यूबवेल की जगह ले ली है. गोवारा के 52 वर्षीय निवासी गुरजीत सिंह ने अपने गांव की सामूहिक राहत को साझा किया.

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किसानों के अब हर साल बचेंगे 10 हजार रुपये

गुरजीत सिंह ने कहा कि 40 से अधिक वर्षों के बाद, नहर का पानी फिर से हमारे पास पहुंचा है. धान के मौसम के दौरान बोरवेल खोदना एक वार्षिक परीक्षा बन गई थी, जिसमें हमें हर बार लगभग 10,000 रुपये खर्च करने पड़ते थे. मदद के लिए सरकार से संपर्क करना एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया थी, लेकिन सिंचाई विभाग और ट्यूबवेल निगम के सहयोग से, हमने सरकार द्वारा वहन किए गए 2 करोड़ रुपये से अधिक के खर्च पर पूरे गांव में भूमिगत पाइपों का जाल बिछा दिया. अब लगभग 800 एकड़ जमीन सिंचित है और हमने अपने खेतों को पानी देने का कार्यक्रम सौहार्दपूर्ण ढंग से तय किया है.

300 एकड़ जमीन पर होगी सिंचाई

दरअसल, अमलोह के मल्लोवाल गांव में नहर के पानी के आउटलेट का 5 किलोमीटर का हिस्सा 40 साल से अतिक्रमण की वजह से बंद था. सरकारी हस्तक्षेप से रास्ता साफ हो गया और अब नहर का पानी भरपुरगढ़ और मल्लोवाल गांवों में कम से कम 300 एकड़ जमीन की सिंचाई करता है. ग्रामीणों को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाने वाले पटवारी करण गुप्ता ने कहा कि पहले 20 ट्यूबवेल पानी निकालते थे. अब नहर का पानी खेतों की सिंचाई के लिए पर्याप्त है. रायपुर गांव में नहर का पानी वापस आने पर खुशी मनाई गई. गुरजीत सिंह (50) और साथी ग्रामीणों ने प्रार्थना की और मिठाई बांटी, क्योंकि नहर का पानी नई स्थापित भूमिगत पाइपों के माध्यम से उनके खेतों तक पहुंचा.

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क्या कहते हैं किसान

गुरजीत सिंह ने बताया कि अब 700 एकड़ से अधिक भूमि की सिंचाई सतही पानी से की जाएगी, जिससे 250 ट्यूबवेल का उपयोग और भूजल का दोहन खत्म हो जाएगा. 6 फीट जमीन के नीचे खोदी गई 4.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन अब हमारे गांवों तक नहर का पानी पहुंचाती है. पिछले 60 वर्षों में नहर से सिंचित क्षेत्र में कमी आई है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के प्रधान वैज्ञानिक राजन अग्रवाल के अनुसार, पिछले 60 वर्षों में नहर से सिंचित क्षेत्र 58.4 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत रह गया है, जबकि ट्यूबवेल से सिंचित क्षेत्र 41.1 प्रतिशत से बढ़कर 71.3 प्रतिशत हो गया है. अग्रवाल ने कहा कि 1990-91 और 2000-01 के बीच सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भरता में बड़ी वृद्धि हुई है.

3 ब्लॉकों में गंभीर स्थिति

राज्य का कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 18.84 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) आंका गया है. वार्षिक भूजल निष्कर्षण 27.8 बीसीएम है. केंद्रीय भूजल मूल्यांकन बोर्ड ने 2022 में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में पंजाब में मूल्यांकित 150 ब्लॉकों में से 114 ब्लॉकों को अति-दोहित, 3 ब्लॉकों को गंभीर, 13 ब्लॉकों को अर्ध-गंभीर और 20 ब्लॉकों को सुरक्षित श्रेणी में रखा है.

 

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