पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर लगेगा ब्रेक, 11624 गांवों में तैनात किए जाएंगे 5000 नोडल अधिकारी

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर लगेगा ब्रेक, 11624 गांवों में तैनात किए जाएंगे 5000 नोडल अधिकारी

पीपीसीबी के अध्यक्ष ने कहा कि एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इन गांवों का दौरा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इन गांवों में कोई आग की घटना न हो. इसके अलावा, धान की कटाई का मौसम शुरू होने से पहले पराली जलाने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियां भी चलाई जाएंगी.

किसानों पर जुर्माना लगाना घोर अन्यायकिसानों पर जुर्माना लगाना घोर अन्याय
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 23, 2024,
  • Updated Sep 23, 2024, 11:49 AM IST

पंजाब में 1 अक्टूबर से धान की कटाई का मौसम औपचारिक रूप से शुरू होने वाला है. ऐसे में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने राज्य के आठ जिलों और 663 गांवों को पराली जलाने वाले हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया है. इन जिलों में संगरूर, फिरोजपुर, बठिंडा, मोगा, बरनाला, मानसा, तरनतारन और फरीदकोट शामिल हैं, जहां पिछले साल पराली जलाने के 23,410 मामले दर्ज किए गए थे. इस लिए राज्य सरकार इस बार बहुत पहले से ही सतर्क हो गई है. साथ ही 11,624 गांवों में हजारों अधिकारी तैयार किए जाएंगे.

खास बात यह है कि 663 गांवों, जिनमें से अधिकांश इन आठ जिलों में ही स्थित हैं. पिछले तीन वर्षों में इन गांवों का 75 फीसदी से अधिक खेतों में पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं. पीपीसीबी ने आने वाले तीन महीनों में राज्य में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के समक्ष एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत की है. पंजाब में करीब 31.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती होती है. राज्य को इस बार करीब 19.52 मिलियन टन धान की पराली मिलने की उम्मीद है, जो पिछले साल 19.55 मिलियन टन थी.

ये भी पढ़ें- इस राज्य में धान खरीद पर 500 रुपये क्विंटल बोनस देगी सरकार, कैबिनेट से 2500 करोड़ मंजूर

पराली जलाने के 49,992 मामले आए थे सामने

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  राज्य ने 2023 में पराली जलाने के मामलों में 26.55 फीसदी की उल्लेखनीय कमी दर्ज की, जबकि 2022 में पराली जलाने के 49,992 मामले सामने आए थे. 2021 में 71,159 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2022 में मामलों में 29.84 फीसदी की कमी आई है. हालांकि, साल 2020 में पंजाब में पराली जलाने के 76,929 मामले दर्ज किए गए थे. पीपीसीबी के चेयरमैन आदर्शपाल विग ने कहा कि बोर्ड ने हॉटस्पॉट गांवों और जिलों की सूची पहले ही संबंधित उपायुक्तों को सौंप दी है.

अपने खेतों में इस लिए लगाते हैं आग 

पीपीसीबी के अध्यक्ष ने कहा कि एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारी व्यक्तिगत रूप से इन गांवों का दौरा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इन गांवों में कोई आग की घटना न हो. इसके अलावा, धान की कटाई का मौसम शुरू होने से पहले पराली जलाने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियां भी चलाई जाएंगी. धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए किसान अगली फसल की बुवाई के लिए फसल अवशेषों से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं.

ये भी पढ़ें- रोगों को पनपने नहीं देती है गेहूं की ये नई किस्म, किसानों को 145 दिन में मिलेगी 63 क्विंटल पैदावार

5,000 नोडल अधिकारी किए जाएंगे तैनात

राज्य सरकार ने वास्तविक समय में जमीनी स्तर पर आग की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए राज्य भर में कई विभागों के 8,000 कर्मचारियों को लगाया है. इस वर्ष, राज्य भर के 11,624 गांवों में लगभग 5,000 नोडल अधिकारी, 1,500 क्लस्टर समन्वयक और 1,200 फील्ड अधिकारी तैनात किए गए हैं. इन अधिकारियों को पराली जलाने की घटनाओं के सत्यापन के बाद पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) और पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी) द्वारा विकसित एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) नामक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से दैनिक कार्रवाई रिपोर्ट साझा करनी होगी.

 

MORE NEWS

Read more!