खरबूजा एक कद्दूवर्गीय फसल है, जिसे नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है. इसके पौधे लताओं के रूप में विकास करते हैं. इसके फलो को विशेष रूप से खाने के लिए इस्तेमाल करते है. तरबूज सीजनल फसलों में आता जिसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. महाराष्ट्र में तरबूज की फसलें गर्मी के मौसम में नदी घाटियों के साथ-साथ बागवानी फसलों में उगाई जाती हैं. खरबूजा स्वाद में अधिक स्वादिष्ट होता है. इसके फलो का सेवन जूस या सलाद के रूप में कर सकते है, तथा खरबूजे के बीजो को मिठाइयों में इस्तेमाल किया जाता है. यह एक ऐसा फल है, जिसे गर्मियों में अधिक मात्रा में खाने के लिए इस्तेमाल में लाते है,इसके फलो में 90 प्रतिशत पानी तथा 9 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पायी जाती है, जो आपको हाइड्रेट रखता हैऔर बाज़ार में इसकी डिमांड भी अधिक रहती है.ऐसे किसानों के लिए खरबूजा की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
खरबूजे की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पूसा शरबती (एस-445)
फल गोल, मध्यम आकार व छिलका हल्के गुलाबी रंग लिए होता है. छिलका जालीदार, गूदा मोटा एवं नारंगी रंग का होता है एक बेल पर 3-4 फल लगते हैं.
पूसा मधुरस
फल गोल, चपटे, गहरे हरे रंग के धारीयुक्त होते है. गूदा रस से भरा हुआ एवं नारंगी रंग का होता है. फल का औसत वजन 700 ग्राम होता है और एक बेल पर 5 फल तक लगते हैं.
हरा मधु
फल का औसत भार एक किलो और फलों पर हरे रंग की धारियां पाई जाती है । फल पकने पर हल्के पीले पड़ जाते है. गूदा हल्का हरा, 2-3 सेमी मोटा व रसीला होता है.
आई.वी.एम.एम.3
फल धारीदार एवं पकने पर हल्के पीले रंग के होते हैं। फल काफी मीठे एवं गूदा नारंगी रंग का होता है। फल का औसत वजन 500 से 600 ग्राम होता है.
पंजाब सुनहरी
इस किस्म की लता मध्यम लंबाई की, फल गोलाकार एवं पकने पर हल्का पीले रंग का,गूदा नारंगी रंग का तथा रसदार होता है। इसके अलावा भी खरबूजे की कई उन्नत किस्मों को अधिक उत्पादन देने के लिए उगाया जा रहा है, जो इस प्रकार है:- दुर्गापुरा मधु, एम- 4, स्वर्ण, एम. एच. 10, हिसार मधुर सोना, नरेंद्र खरबूजा 1, एम एच 51, पूसा मधुरस, अर्को जीत, पंजाब हाइब्रिड, पंजाब एम. 3, आर. एन. 50, एम. एच. वाई. 5 और पूसा रसराज आदि.