नांदेड़ में किसान ने उगाया अमेरिकी चिया बीज, 20000 की लागत में हुआ 5.5 लाख का मुनाफा

नांदेड़ में किसान ने उगाया अमेरिकी चिया बीज, 20000 की लागत में हुआ 5.5 लाख का मुनाफा

जिन इलाकों में सूखे की समस्या है या छुट्टा जानवरों से नुकसान की आशंका रहती है, वहां चिया की खेती करने की सलाह दी जाती है. इससे किसानों की आत्महत्या भी रुकेगी क्योंकि कम से कम लागत में अच्छी कमाई मिल सकती है. किसानों को खाद या सिंचाई के लिए बहुत अधिक पानी भी नहीं देना होता.

नांदेड़ के किसान शिवाजी तमशेट्टे
क‍िसान तक
  • NANDED,
  • Mar 15, 2023,
  • Updated Mar 15, 2023, 1:43 PM IST

महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक किसान ने अमेरिकी चिया बीज की खेती में कमाल कर दिया है. जबकि यहां के अधिकांश किसान खेती-बाड़ी की कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. पिछले तीन महीने से कपास, सोयाबीन, चने की फसल को उचित दाम नहीं मिलने के कारण उपज घरों में ही पड़ी है. राज्य के किसान परेशान हैं क्योंकि अब प्याज को भी सही दाम नहीं मिल रहे हैं. दूसरी ओर, नांदेड़ जिले के मुखेड तहसील के चांडोला गांव के किसान शिवाजी तमशेट्टे ने अमेरिकी चिया बीज की खेती में बड़ा नाम कमाया है. उन्होंने चिया बीज से बंपर मुनाफा भी कमाया है. 

शिवाजी तमशेट्टे ने अमेरिकी चिया बीज को पारंपरिक फसल के साथ लगाया है. महज ढाई एकड़ में इस किसान ने चिया बीज की 11 क्विंटल उपज ली है. वर्तमान में इस फसल की कीमत 70 हजार रुपये प्रति क्विंटल है. खेती के लिहाज से देखें तो चिया बीज कम लागत वाली लेकिन अधिक उपज देने वाली फसल है. इसके अलावा, चूंकि इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है, इसलिए बाजार में इसकी भारी मांग है. ऐसी जानकारी किसान तमशेट्टे ने दी.

मुखेड तहसील के चांडोला गांव के किसान शिवाजी तमशेट्टे के पास कुल आठ एकड़ कृषि योग्य जमीन है. वे पिछले दो साल से खेती कर रहे हैं. पिछले साल उन्होंने सात एकड़ में चना लगाया था. इसके लिए उन्होंने 65 हजार रुपये खेती पर खर्च किए थे. इससे 90 हजार की आय हुई. अपेक्षित मूल्य नहीं मिलने से किसान शिवाजी तमशेट्टे तंग आ गए थे. इसी दरमियान उन्हें मोबाइल पर फसल के नए तरीकों को देखते हुए अमेरिकन चिया सीड्स लगाने का आइडिया आया. इससे उन्हें जानकारी मिली कि देश में यह फसल कहां उगाई जाती है. 

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जानकारी मिलने के बाद शिवाजी तमशेट्टे ने मध्य प्रदेश से साढ़े सात किलो बीज 1400 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा. इस फसल की खेती सोयाबीन, मूंग, उड़द की तरह की जाती है. इसमें किसी तरह के खाद की जरूरत नहीं होती है, लेकिन अगर मिट्टी भारी हो तो चार से पांच बार पानी देना पड़ता है. किसान शिवाजी तामशेट्टे ने 'आजतक' को बताया कि अगर जमीन सामान्य है तो सात से आठ बार पानी देने की जरूरत है. 

किसान ने चिया बीज की खेती पर 20 हजार रुपये खर्च किए. बोने के बाद फसल पर किसी भी प्रकार के खाद का छिड़काव करने या खेत में खाद लगाने की जररूत नहीं होती. चिया बीज वनस्पती पौधा होने के कारण हिरण, जंगली सूअर और अन्य जानवर इसे नहीं खाते हैं. इसके अलावा इस पर कोई बीमारी नहीं होती. 

जिन इलाकों में सूखे की समस्या है या छुट्टा जानवरों से नुकसान की आशंका रहती है, वहां चिया की खेती करने की सलाह दी जाती है. इससे किसानों की आत्महत्या भी रुकेगी क्योंकि कम से कम लागत में अच्छी कमाई मिल सकती है. किसानों को खाद या सिंचाई के लिए बहुत अधिक पानी भी नहीं देना होता. तमशेट्टे कहते हैं कि किसानों को इसकी खेती के लिए 700 रुपये प्रति किलो बीज दिया जा रहा है. पिछले साल हैदराबाद के बाजार में चिया बीज एक लाख रुपये प्रति क्विंटल तक बिका. 

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किसान शिवाजी तमशेट्टे ने कहा कि इस साल कीमत 700 रुपये प्रति किलो और 70,000 रुपये प्रति क्विंटल है. इस किसान को ढाई एकड़ में आठ क्विंटल उपज मिली है जिससे पांच लाख़ 60 रुपये मुनाफा हुआ है. चिया बीज की कीमत अगस्त से दिसंबर तक और बढ़ जाती है. इसका उपयोग मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और सौंदर्य उपचार में भी किया जाता है. इसलिए दवा कंपनियों की तरफ से इसकी डिमांड ज्यादा है. इसके अलावा इन बीजों का इस्तेमाल वजन घटाने के लिए भी किया जाता है. तमशेट्टे कहते हैं, अमेरिका, चीन में पानी में इसका बीज डालकर पिया जाता है.

चिया बीज वजन घटाने में कारगर माना जाता है जिसके बारे में नांदेड़ के ही जयवंत बोयनेर कहते हैं, एक महीने पहले मेरा वजन 95 किलो था. मुझे चलने में दिक्कत हो रही थी. कई अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. एक दोस्त की सलाह पर हर दिन रात को चिया बीज भिगोना शुरू किया और सुबह उसे खाना होता है. इससे वजन में गिरावट आई है. ऐसे ही एक मधुमेह पीड़ित ने कहा, हर रोज सुबह में खाली पेट चिया बीज खाने से शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिली है.(कुंअर चंद की रिपोर्ट)

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