महाराष्ट्र के पुणे जिले के किसान कोंडाजी बबन सणस ने पारंपरिक फसलों की खेती छोड़कर ताइवानी तरबूज की 4 किस्मों की खेती की है. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. तरबूज की किस्मों के नाम सरस्वती, आरोही, विशाला और हैप्पी फैमिली है. हर किस्म की अपनी अलग-अलग खासियत है. सणस को इस साल अपने एक एकड़ से 12 से 13 टन का
उत्पादन मिला है.
परंपरागत खेती-किसानी में अधिक लाभ न होता देख सणस ने नई फसलों की तरफ रुख किया. उन्होंने कहा की इस फल की खेती से उन्हें अच्छा उत्पादन मिल रहा है. किसान कोंडाजी बबन सणस पिछले तीन साल से अपनी एक एकड़ जमीन में चार किस्म की ताइवानी तरबूज की खेती करते हैं. वह इस फसल से एक लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमा चुके हैं.
बबन सणस ने ताइवानी तरबूज की चार किस्मों की खेती की है जिसमें आरोही किस्म तरबूज दिखने में ऊपर से हरा रंग और अंदर से पीला रंग का होता है. इसका वजन पांच से छह किलो का होता है. किसान को इसका दाम सबसे ज्यादा 21 रुपये प्रति किलो मिलता है.
इसके बाद दूसरी किस्म विशाला किस्म है जिसका तरबूज दिखने में पीले रंग का होता है और अंदर लाल रंग का होता है. इसका दाम किसान को 16 रुपये प्रति किलो तक मिलता है. यह किस्म देखने में बेहद अलग तरह की है जिससे ग्राहक भी खूब पसंद करते हैं.
इसके बाद सरस्वती किस्म का तरबूज है जिसका हल्का हरा रंग ग्राहकों को बहुत पसंत आता है. इसका आकार गोल होता है, लेकिन बाज़ारों में जल्दी नहीं मिलता है. इसका स्वाद भी सबसे मीठा होता है. अपने स्वाद और रंग के चलते इसका मार्केट वैल्यू भी अच्छा है.
हैप्पी फैमिली किस्म के तरबूज की बात करें तो यह हल्के हरे रंग का होता है. इसमें बीज न के बराबर होते हैं. किसान बबन सणस के मुताबिक गर्मी में इस किस्म की मांग बढ़ जाती है और भाव भी अच्छा मिलता है. यही वजह है कि किसान इसे उगाने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं.
किसान कोंडाजी बबन सणस बताते हैं कि ताइवानी तरबूज काफी मुनाफे वाला होता है. एक एकड़ में 50 हज़ार तक का खर्च आता है और ये तरबूज सिर्फ 60 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाता है. सणस अपने घर में ही गोबर का खाद बनाते हैं. इसकी वजह से किसान की लागत और भी बच जाती है. इन तरबूजों का स्वाद भी थोड़ा अलग- अलग होता है.