रागी की खेती को झारखंड में बढ़ावा देने की पहल पहले से ही की जा रही है. झारखंड में लगातार मौसम में हो रहे बदलाव के कारण हो रही बारिश की कमी के कारण यह खेती सबसे बेहतर मानी जा रही है कयोंकि कम पानी में भी इसक बेहतर पैदावार हो जाती है. इतना ही नहीं किसानों को इसकी खेती के प्रति जागरूक करने के लिए और इसकी खेती से अधिक मुनाफा देने के लिए अधिक ऊपज देने वाली वेरायटी भी तैयार की गई है जो किसानों के बीच बांटी गई है. झारखंड के गुमला जिले के बाद अब रामगढ़ जिला भी रागी की खेती और उत्पादन के मामले में आगे बढ़ रहा है. अधिक उपज देने वाली किस्मों की खेती करके किसानों की तकदीर बदल रही है.
रामगढ़ जिले में कृषि विज्ञान केंद्र की पहल पर 100 हेक्टेयर क्षेत्र में रागी की खेती की गई है. इससे किसानों को आर्थिक खुशहाली मिल रही है साथ ही कुपोषण को भी दूर करने में मदद मिल रही है. हालांकि इस साल खेती को लक्ष्य को और बढ़ाया गया है. गौलतलब है कि मोटे अनाज की खेती और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए इस साल इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट मनाया जा रहा है. इसके तहत झारखंड के कई जिलों में रागी की खेती को बढ़ावा देने की पहल की गई है.
रामगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर इंद्रजीत प्रजापति ने कहा कि रागी की खेती को बढ़ावा देते हुए जिले को कुपोषणमुक्त बनाने की पहल की जा रही है. इसके लिए पिछले साल 100 हेक्टेयर में रागी की खेती की गई थी. इस साल जिले को रागी मिशन से जोड़ा गया है, इसके तहत अधिक से अधिक किसानों को इसकी खेती से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया की रागी में कैल्शियम फाइबर और आयरन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है. उन्होंने बताया कि जिले में रागी की प्रजाति ए 404 की खेती की गई थी. इससे प्रति हेक्टेयर 20-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की ऊपज प्राप्त हुई.
रागी में फैट कम होता है, साथी अमीनो एसिड औऱ फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. यह शुगर रोगियों के लिए वरदान होता है. रागी में आयरन, सोडियम, जिंक मैग्नीशियम, फास्फोरस, प्रोटीन, जिक, मैग्नीशियम, विटामिन बी, वन, बी टू और बी थ्री, आयोडीन, कैरोटीन, एमीनो अम्ल, सोडियम कैल्शियम, पोटैशियम और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसका सेवन विभिन्न बीमारियों से बचाता है.
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वहीं झारखंड किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज राय ने बताया की राज्य में रागी की खेती को बढ़ावा देने के लिए महासभा की तरफ से भी पहल की गई है. इस साल लगभग 5000 किसानों के बीच रागी के बीज बांटे गए हैं और उन्हें इसकी उन्नत खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया गया है. अकेले रामगढ़ जिले के 200 किसानों के बीच रागी के बीज का वितरण किया गया है. हालांकि वो मानते हैं कि राज्य में रागी पर एमएसपी नहीं मिलने के कारण किसानों का रुझान इसकी खेती की तरफ नहीं जा पाता है. अगर इसे भी एमएसपी के दायरे में लाया जाएगा तो राज्य में अधिक से अधिक किसान इसकी खेती करेंगे.