कृषि शुल्क कानून पर बैंकफुट पर जाने को तैयार नहीं है चैंबर. जानें क्या कहते हैं व्यापारी

कृषि शुल्क कानून पर बैंकफुट पर जाने को तैयार नहीं है चैंबर. जानें क्या कहते हैं व्यापारी

रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का कहना है कि इस दोहरे टैक्स वाले सिस्टम को लागू करने से इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा. इससे महंगाई बढ़ेगी और भष्ट्राचार को बढ़ावा मिलेगा. चैंबर का कहना है कि वो इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं

चैंबर द्वारा बुलाए गए बंद का असर, बंद हैं दुकानें       फोटोः किसान तकचैंबर द्वारा बुलाए गए बंद का असर, बंद हैं दुकानें फोटोः किसान तक
क‍िसान तक
  • Ranchi,
  • Feb 17, 2023,
  • Updated Feb 17, 2023, 3:21 PM IST

झारखंड में कृषि बाजार शुल्क लागू किए जाने वाले विधेयक को लेकर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स बैकफूट पर आने को तैयार नहीं है. चैंबर का विरोध जारी है और विरोध के तौर पर चैंबर की तरफ से बुलाया गया बंद जारी है. फल सब्जियों और खाद्यान्नों को थोक बाजार बंद हैं, खुदरा दुकानों के पास भी अधिक दिनों का स्टॉक नहीं हैं. वे भी बंद में शामिल हो गए हैं. इससे राज्यभर में खाद्य संकट पैदा हो सकता है. हालांकि रांची चैंबर के अध्यक्ष का कहना है कि अगर राज्य में दुकानों के बंद होने के कारण जनता को परेशानी होगी तो इसकी जिम्मेदार सरकार खुद होगी.

रांची चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष का कहना है कि इस दोहरे टैक्स वाले सिस्टम को लागू करने से इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा. इससे महंगाई बढ़ेगी और भष्ट्रचार को बढ़ावा मिलेगा. चैंबर का कहना है कि वो इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं क्योंकि पिछले लंबे समय से राज्य में यह कानून लागू नहीं था,क्योंकि इसके कई सारे फायदे थे. चैंबर का कहना है कि अगर राज्य सरकार को ऐसा लगता है कि इस टैक्स के लागू होने के सरकार को राजस्व का फायदा होगा तो वह गलत सोच रही है क्योंकि इससे सरकार को नुकसान होगा.

क्या है चैंबर का तर्क

चैंबर का मानना है कि इस टैक्स को लागू करने के बाद जीएसटी का कलेक्शन घट जाएगा, क्योंकि इस टैक्स के लागू होने से व्यापार कमी आएगी. चावल मिल का उदाहरण देते हुए चैंबर के सदस्य ने बताया कि चावल मिल में किसान आते हैं. सीधा अपना धान बेचकर जाते हैं. इसके उन्हें अच्छे पैसे मिल जाते हैं. बीच में कोई बिचौलिया नहीं आता है और ना ही उन्हें कहीं पर टैक्स देना होता है, लेक‍िन, दो प्रतिशत टैक्स लग जाने के बाद फूड प्रोसेसिंग यूनिट यहां पर आएंगे ही नहीं.

यह है सरकार का तर्क

वहीं सरकार का तर्क है कि कृषि बाजार शुल्क से जो पैसे मिलेंगे उससे बाजार व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा. बाजार की आधारभूत सरंचना विकसित की जाएगी, साथ ही यहां कार्य करने वाले मजदूरों को के हित में कार्य किया जाएगा. इसके अलावा किसानों की सब्जियों के लिए पैकेटिंग मशीन लगाया जाएगा. इसलिए इसमे किसी को नुकसान नहीं है.

वहीं इस पर चैंबर का तर्क यह है कि नए कानून के मुताबिक पांच क्विंटल से अधिक माल होने पर लाइसेंस लेना होगा, तो इसके लिए उस किसान को या व्यक्ति क अलग से पेपर बनवाना होगा उसके लिए प्रक्रिया मुश्किल हो जाएगी. व्यापार अभी जितनी आसानी से हो रहा उसमें परेशानी आ जाएगी. 

यह भी पढ़ेंः G20 summit: जी-20 एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में क्या हुआ? 

यह भी पढ़ेंः व्यापारियों को समय पर नहीं मिल रहा स्पेशल इंपोर्ट परमिट, सीफूड निर्यात में आ सकती है गिरावट

MORE NEWS

Read more!