झारखंड को फूलों की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है. यही कारण है कि झारखंड अब किसान फूल की खेती को अपना रहे हैं. फूल की खेती करने के लिए राज्य सरकार द्वारा भी कई प्रकार की सरकारी योजनाओ का लाभ दिया जाता है. किसान गंदूरा उरांव भी फूल की खेती करते हैं, जो गेंदा और गुलाब के साथ ही जरबेरा की खेती कर रहे हैं. असल में जरबेरा की खेती मुनाफे का सौदा है. आइये जानते हैं कि जरबेरा की खेती कैसे किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
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जरबेरा फूल की खेती के लिए भी राज्य सरकार बागवानी मिशन द्वारा शेडनेट हाउस और ड्रिप इरिगेशन भी दिया जाता है. जरबेरा फूल की खेती में किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. किसान गंदूरा उरांव के पास भी 30 डिसमिल जमीन में शेडनेट लगा हुआ है, जहां पर वो जरबेरा फूल की खेती करते हैं. जरबेरा फूल की खेती को चुनना इसलिए बेहतर होता है क्योंकि इसमें किसानों को कम लागत में अच्छी कमाई हो जाती है. इसलिए बागवानी मिशन द्वारा इसे प्रमोट किया जा रहा है.
जरबेरा फूल की खेती इसलिए भी मानी जाती है क्योंकि यह फूल तीन महीनों में फूल देना शुरू कर देती है. इसके बाद इसके एक पौधे से ढाई से तीन साल तक किसान फूल की तोड़ाई करके बेच सकते हैं. एक पौधा से एक साल में किसानों को अच्छी फूल निकलने पर 30-40 फूल प्राप्त होते हैं. एक फूल बाजार में पांच से सात रुपये बिकते हैं. फूल खिलना शुरू होने के बाद किसान एक सप्ताह में दो बार फूल की तुड़ाई कर सकते हैं बाजार में ले जाकर बेचते हैं. गंदूरा उरांव बताते हैं कि फूलों की इतनी मांग होती है कि वो कभी भी आज तक रांची में बाजार की मांग के अनुरुप फूल का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं.
एक किसान अगर 25 डिसमिल जमीन में जरबेरा फूल की खेती करना चाहता है तो किसान को एक लाख रपए कम से कम की पूंजी लगानी है. लेकिन, ध्यान रहे कि किसान के पास इसकी खेती करने के लिए शेड नेट हाउस या पॉली हाउस होना जरूरी है. पौधा की खरीद में किसान को 75000 रुपये की लागत आएगी साथ ही खाद और मल्चिंग के लिए प्लास्टिक खरीदने के लिए लगभग 25000 रुपये की लागत आएगी. इस तरह से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
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