धनिया पत्ता एक चीज है, जिसकी मांग पूरे साल भर होती है. यह भारतीय रसोई की सबसे जरूरी चीज है. इसके बिना अलग-अलग सब्जियों और व्यंजनों का स्वाद अधूरा है. वहीं इसकी खेती से किसानों की भी अच्छी कमाई होती है, लेकिन इसके लिए सबसे अधिक जरूरी है कि किसानों के पास इसकी खेती करने से संबंधित पूरी जानकारी होनी चाहिए. असल में जून-जूलाई का महीना धनिया की खेती के लिए सबसे खास माना जाता है क्योंकि इस समय बोए गए धनिया की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. इसलिए जो किसान इसकी खेती करना चाहते हैं वो इसकी शुरुआत कर सकते हैं.
रांची जिले के किसान गंदूरा उरांव प्रत्येक साल धनिया पत्ता की खेती करते हैं.उन्होंने बताया कि वर्तमान में रांची के बाजारों में धनिया 25 से 30 रुपये प्रति किलो की दर से थोक में बिक रहा है. हालांकि जून-जुलाई में लगने वाला धनिया को किसान 100 रुपये प्रति किलो की दर से भी बेचते हैं.
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गंदूरा उरांव बताते हैं कि धनिया पत्ता बेचने के लिए बुवाई करने का सबसे बढ़िया समय जून का ही होता है, जबकि जो किसान धनिया का फल बेचना चाहते हैं, उन्हें नवंबर-दिसंबर में धनिया की बुवाई करनी चाहिए. उस समय धनिया लगाने से फल अच्छा होता है.
धनिया की बुवाई करने के लिए अच्छे तरीके से खेत तैयार करना चाहिए. किसानों को कल्टीवेटर से एक बार और रोटावेटर से दो बार खेत की जुताई करनी चाहिए. धनिया की बुवाई करने के लिए खेत में ढेले नहीं होने चाहिए. यह एक ऐसी फसल होती है, जो 35-40 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है. 40 दिन के बाद किसान इसे उखाड़ कर बेच सकते हैं. कुछ ऐसी भी किस्में हैं, जो 35 दिनों में तैयार हो जाती है. झारखंड में पूरे साल किसान इसकी खेती कर सकते हैं. पत्ती बेचने के लिए जो किसान इसकी खेती कर रहे हैं, उन्हें अच्छी किस्म का चुनाव करना पड़ता है, जबकि जो किसान फल के लिए इसकी खेती करते हैं, वो किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं.
धनिया पत्ता की खेती करते वक्त खास सावधानी बरतनी चाहिए. सबसे पहले इस बात का ध्यान देना चाहिए की धनिया पत्ती के खेत में घांस या खर-पतवार नहीं होना चाहिए. धनिया की बुवाई करते समय इसका बीजोपचार करना जरूरी नहीं होता है,लेकिन इसकी बुवाई के समय खेत में डीएपी और गोबर खाद का प्रयोग करें. किसान प्रति एकड़ 40 किलो डीएपी और तीन ट्रैक्टर गोबर खाद का इस्तेमाल करें. खेत में बुवाई करने के बाद ड्रिप, स्प्रिंक्लर या फ्लड इरिगेशन तकनीक से सिंचाई कर सकते हैं. बारिश के मौसम में इसका खास ध्यान रखना पड़ता है कि खेत में जलजमाव नहीं हो, क्योंकि जलजमाव होने पर अंकुरण सही मात्रा में नहीं होता है और खर-पतवार की समस्या आती है. एक एकड़ में धनिया की खेती करने में 25-30 हजार रुपये का खर्च आता है. अगर किसान को 50 रुपये प्रति किलो की दर से दाम मिलता है तो एक लाख से अधिक की कमाई हो जाती है.