हरियाणा में बेमौसमी बारिश की वजह से किसानों की गेंहू और सरसों की फसल में भारी नुकसान हुआ है. प्रदेश में हो रही बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से अनाज मंडियों में बहुत ही कम आवक आई है, जबकि सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद एक अप्रैल से शुरू कर दी है. रोहतक अनाज मंडी में दो-तीन दिन ही किसान गेहूं की फसल ले कर पहुंचे. लेकिन सरकारी एजेंसियों ने यह गेहूं इसलिए खरीद करने से इनकार कर दिया क्योंकि उसमें नमी की मात्रा सरकारी मापदंड से ज्यादा थी. ऐसे में किसानों ने गेहूं लाना बंद कर दिया था. अब मंडियों में फिर से गेहूं की आवक शुरू हो गई है.
किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया. किसानों ने सरकार से मांग की है कि फसल नुकसान का मुआवजा जल्द दिलाया जाए. उनका कहना है कि सरकार किसानों को कम से कम बीस से पच्चीस हजार रुपये मुआवजा दे तो फसल पर खर्च पूरा हो सकता है. इससे कम मुआवजा मिलने पर खेती की लागत भी नहीं निकल पाएगी. किसानों ने खरीद को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि गेहूं में नमी बताकर उसे खरीदा नहीं जा रहा है. किसान को गेहूं का जो भाव मिलना चाहिए, वो भाव भी नहीं मिल रहा है. इसलिए खेती अब घाटे का सौदा हो गई है.
कुछ दिन की रोक के बाद रोहतक की अनाज मंडी में किसान अब गेहूं की फसल लेकर पहुंचने लगा है. लेकिन यहां भी उसे मायूसी ही हाथ लग रही है क्योंकि कुदरत की मार के सामने उसकी गेहूं की फसल खराब हो चुकी है. गेहूं में नमी बताकर उसे खरीदा नहीं जा रहा है. किसानों का कहना है कि खेती अब घाटे का सौदा होती जा रही है क्योंकि लागत ज्यादा और आमदनी कम होती जा रही है. अबकी बार गेहूं की फसल से किसान को उम्मीद थी कि बंपर पैदावार होगी. लेकिन कुदरत की मार ने उसके सारे अरमानों पर पानी फिर दिया है. रही सही कसर इसलिए पूरी हो रही है क्योंकि मंडी में सरकारी एजेंसी गेहूं में नमी बता उसे खरीद नहीं रही है.
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किसानों की बड़ी शिकायत ये है कि बारिश से खराब हुई फसल का कोई मुआवजा नहीं मिला है. और ना ही बची हुई फसल की खरीद हो रही है. ऐसे में किसान पर चौतरफा मार है. किसानों का कहना है कि बारिश और ओलावृष्टि से चार एकड़ में चालीस मन यानी एक एकड़ में चार क्विंटल ही गेहूं निकल रहा है. जबकि पहले पच्चीस से तीस क्विंटल गेहूं की पैदावार होती थी.
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रोहतक अनाज मंडी के सचिव ने बताया कि बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल अनाज मंडी में गेहूं लाने में देरी हुई है. अब तक ज्यादा गेहूं की आवक आ जाती थी. आज (गुरुवार) दो-तीन किसान अपनी गेहूं की फसल लेकर अनाज मंडी पहुंचे हैं. गेहूं में नमी की मात्रा ज्यादा होने से खरीद नहीं हो पाई है. गेहूं में सरकार के नियम अनुसार 12 प्रतिशत नमी होनी चाहिए. गेहूं खरीद के लिए मंडी में सभी प्रकार के पूरे पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. वहीं आढ़तिओं की मांग है कि सरकार बारिश से खराब हुई गेहूं में नमी की मात्रा में थोड़ी ढील देनी चाहिए ताकि किसान अधिक से अधिक अपनी उपज बेच सकें.