देश दुनिया में आम की कई वैरायटी है. लेकिन बिहार की राजधानी पटना के दीघा इलाके का दूधिया मालदह अपने स्वाद और रंग के लिए दुनिया में विख्यात है. हालांकि की समय के साथ इसका क्षेत्र काफी कम होकर करीब सिमट ही चुका है. इसके संरक्षण और विस्तार को लेकर कृषि विभाग द्वारा अपने स्तर पर कार्य किया जा रहा है. जिसके तहत कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि दीघा के दुधिया मालदह का दूसरे जिलों में भी क्षेत्र विस्तार किया जाएगा. वहीं इस पौध रोपण के लिए प्रत्येक जिलों में उद्यान निदेशालय से 200-200 पौधे भेजे जाने की बात कही.
बता दें कि कृषि एवं बागवानी क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने मंगलवार को कृषि अनुसंधान संस्थान पटना का दौरा किया. सचिव ने संस्थान द्वारा बागवानी के विभिन्न फसलों के गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री तैयार करने की प्रक्रिया का अवलोकन किया और पौधे के मातृ वृक्ष के संरक्षण को देखा और वैज्ञानिकों को किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त पौधे उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक निर्देश दिए.
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कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने दुधिया मालदह को जीआई टैग दिलाने के लिए की जा रही प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त की. वहीं, इस दौरान पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और कृषि सचिव ने संस्थान परिसर में दूधिया मालदह आम के पौधे का रोपण कर इस प्रजाति को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एस.एन. दास ने "किसान तक" को बताया कि दूधिया मालदह को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया करीब 80 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुकी है, 2026 तक इसे जीआई टैग संभवत मिलने की उम्मीद है.
कृषि अनुसंधान संस्थान पटना द्वारा दूधिया मालदह के संरक्षण और विस्तार के लिए करीब पांच हजार पौधे लगाने के लिए तैयार किया गया है जिसकी बिक्री जुलाई के प्रथम सप्ताह से 80-100 रुपये प्रति पौधा की दर से की जानी है. इसके अलावा जर्दालु आम के 1000-1200 पौधे, आम्रपाली के 500-800 पौधे, दशहरी के 250-400 पौधे, अमरूद के 1000-1200 पौधे, कटहल के 250-300 पौधे और नींबू के 1000-1200 पौधे वर्तमान में तैयार हैं.
कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि दीघा के दुधिया मालदह का दूसरे जिलों में भी क्षेत्र विस्तार किया जाएगा जिसको लेकर प्रत्येक जिलों में उद्यान निदेशालय से 200-200 पौधे भेजे जाएंगे. इस पहल से न केवल इस विशिष्ट प्रजाति का संरक्षण संभव होगा बल्कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले फल उत्पादन का लाभ भी मिलेगा. अपने भ्रमण के दौरान कृषि सचिव ने संस्थान की विविध गतिविधियों जैसे कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र, आधुनिक नर्सरी, औषधीय और सुगंधित पौधों का कैफेटेरिया, अमरूद के मातृ वृक्ष, वर्मी कम्पोस्ट इकाई और हर्बल होम शो-केस का भी अवलोकन किया. इन गतिविधियों में हो रहे नवाचारों को उन्होंने सराहा और इनके और विस्तार के लिए सुझाव दिए.
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