Success Story: केसर की खेती बदलेगी बिहार के किसानों की तकदीर, गया जिले में हुई शुरुआत

Success Story: केसर की खेती बदलेगी बिहार के किसानों की तकदीर, गया जिले में हुई शुरुआत

गया जिले के आशीष कुमार के केसर की खेती का दिखने लगा सफल परिणाम. खेतों में खिले केसर के फूल. इसके बाद बिहार में केसर की खेती को लेकर किसानों के बीच जगी एक नई उम्मीद. वहीं केसर के अलावा अंजीर की खेती से वे बदल रहे लोगों की सोच. 

Saffron Plant FlowerSaffron Plant Flower
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • GAYA ,
  • Dec 28, 2023,
  • Updated Dec 28, 2023, 2:47 PM IST

धर्म की नगरी गया की विश्व के मानचित्र पटल पर अपनी एक अलग ही पहचान है. लेकिन पिछले कुछ सालों में गया जिला कृषि के तौर पर भी सूबे में अपनी अलग पहचान बना रहा है. इस पहचान को सफल मुकाम दिलाने में इंजीनियर आशीष कुमार सिंह जैसे कई किसानों का योगदान है. वैसे आशीष कुमार काली फसलों की सीरीज में काला आलू, काला धान, काली हल्दी सहित गेहूं की कई किस्मों की खेती कर रहे हैं. मगर इन दिनों वे जम्मू कश्मीर में होने वाली केसर की खेती को गया में कर रहे हैं. इनकी मेहनत का फल केसर के खिले हुए फूल बता रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने अंजीर की खेती करके किसानों को नई राह दिखाई है.  

गया में अंजीर की खेती. फोटो-किसान तक

किसान तक से बातचीत करते हुए आशीष कुमार कहते हैं कि इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी से कहीं ज्यादा खेती अलग पहचान दिला रही है. ज़िंदगी में पैसे के साथ राज्य स्तर पर कृषि ने ऐसी पहचान दिलाई है कि अब तक एक लाख महीना वाली नौकरी से नहीं मिली. आगे वह कहते हैं कि केसर की खेती अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की है. फरवरी तक सही रिजल्ट मिलने के बाद इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाएगी. 

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बिहार में पहली बार केसर की खेती 

वैसे तो आशीष 35 बीघा में खुद की जमीन में परंपरागत फसलों के साथ आधुनिक विधि से खेती करते है. लेकिन खेती में नए प्रयोग के लिए टिकारी प्रखंड के गुलरिया चक गांव में पांच एकड़ जमीन रिजर्व रखा है. वहीं उन्होंने बिहार में पहली बार करीब एक हजार स्क्वायर फीट जमीन में करीब साढ़े तीन सौ केसर के कंद लगाए हुए हैं. वह बताते हैं कि अभी पायलट प्रोजेक्ट पर इसकी खेती शुरू की है जिसका सफल रिजल्ट आना शुरू हो गया है.

दिसंबर के महीने में केसर का पत्ता और फूल दोनों आने शुरू हो चुके हैं. वहीं आने वाले दिनों में फूलों की संख्या बढ़ी तो करीब साढ़े तीन सौ कंद से सौ ग्राम केसर निकलने की उम्मीद है. वहीं केसर करीब 6 लाख रुपये प्रति किलो बाजार में बिक रहा है. अभी तक केसर की खेती पर सिंह ने करीब 6 हजार रुपये खर्च किए हैं. आगे वह बताते हैं कि मिट्टी में केसर से फूल निकलने के लिए 12 से 19 डिग्री तापमान बेहतर है.

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45 दिन में खिला केसर का फूल

आशीष कुमार ने 31 अक्टूबर से केसर की खेती शुरू की. वहीं 15 दिसंबर से फूल आना शुरू हो गया है. अभी तक पंद्रह से अधिक फूल खिल चुके हैं. आशीष कहते हैं कि अगर सौ फूल आते हैं तो करीब दो से तीन ग्राम तक केसर प्राप्त हो जाएगा. फूल के भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं. इस मादा भाग को स्टिग्मा या वर्तिका कहते हैं. यहीं केसर कहलाता है. अगर प्रयोग सफल रहा तो अगले साल आठ से नौ कट्ठा जमीन में केसर की खेती की जाएगी.

आशीष कुमार सिंह ने साढ़े तीन सौ केसर के कंद लगाए हैं. फोटो-किसान तक

आगे वह बताते हैं कि उन्होंने केसर के अलावा अंजीर की भी खेती की है. करीब 70 पेड़ लगाए हुए हैं. एक पेड़ पर करीब चार से पांच किलो तक फल आया है. उन्होंने पुणे रेड, तुर्की ब्राउन और डायना वैरायटी के अंजीर लगाए हैं. वे कहते हैं कि अभी अंजीर का फल 250 से 300 रुपये प्रति किलो बिकता है. वहीं सूखा 900 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. खेती में पिछले नौ साल से अलग-अलग फसलों का प्रयोग कर रहे आशीष अन्य किसानों के रोजगार के लिए अपार संभावनाएं खोल रहे हैं.

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