Weed: दुधारू पशुओं के लिए जानलेवा है खरपतवार, चराने के दौरान रखें इन बातों का ख्याल 

Weed: दुधारू पशुओं के लिए जानलेवा है खरपतवार, चराने के दौरान रखें इन बातों का ख्याल 

Weed and Animal खेत, जंगल और खुले मैदानों में पशु हर तरह की हरी पत्तियां और तने को खाते हैं. ऐसे में पशु के चरने के दौरान उसमे खरपतवार भी शामिल हो जाती है. खरपतवार पशु के पेट में जाने के बाद तो नुकसान पहुंचाती ही है, साथ में खरपतवार की पत्तियां, फल और उसके बीज पशु के शरीर पर चिपकने के बाद भी उसे नुकसान पहुंचाते हैं. बरसात के दिनों में ज्यादा देखने को मिलता है.  

गाजर घास जहां उग जाती वहां दूसरे पौधे को पनपने नहीं देती है. गाजर घास जहां उग जाती वहां दूसरे पौधे को पनपने नहीं देती है.
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jun 23, 2025,
  • Updated Jun 23, 2025, 1:06 PM IST

Weed and Animal जरूरी नहीं है कि खरपतवार खाने के बाद ही पशुओं को किसी तरह की परेशानी हो. कई बार तो खरपतवार के बीज, पत्ते और फल पशुओं के शरीर से चिपक कर भी उन्हें गहरा नुकसान पहुंचाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि खरपतवार के उगने की कोई एक जगह नहीं होती है. खेत ही नहीं ये नाली और सड़क के किनारे भी उग आती है. खरपतवार जितनी बड़ी किसान की दुश्मन है, उतनी ही ये पशुपालकों को भी परेशान करती है. अक्सर पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को खेत, खुले मैदान और जंगल में चराने ले जाते हैं. जहां खरपतवार पशुओं का उत्पादन प्रभावित करने के साथ ही उन्हें कई तरह से नुकसान भी पहुंचाती है. 

खरपतवार पशुओं को खाज-खुजली, रेशे का खराब होना समेत स्किन के और दूसरे रोगों से शारीरिक नुकसान तो पहुंचाती ही है, साथ ही कभी-कभी जानलेवा भी साबित होती है. इतना ही नहीं खरपतवार से होने वाली परेशानी के चलते पशुओं का दूध, मीट और ऊन का उत्पादन भी घट जाता है. जिस वजह से पशुपालकों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. 

जानें कौनसी खरपतवार क्या नुकसान पहुंचाती है

  • लैंटाना कैमरा की पत्तियां खाने से पशु पीलिया का शिकार हो जाता है. साथ ही आंखों पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. 
  • गाजर घास के संपर्क में आने से पशु को खुजली हो जाती है. शरीर पर सूजन आ जाती है. एलर्जी का शिकार भी हो जाता है. 
  • कॉकलेबर या छोटा धतूरा पेट में लीवर पर अटैक करता है, जिसके चलते पशु को पीलिया भी हो जाता है. किडनी और हॉर्ट पर भी असर डालता है. 
  • जॉनसन घास जहरीली होती है. इसका असर पशु के पूरे शरीर पर देखने को मिलता है. 
  • पंक्चर वाइन खरपतवार सूखे इलाके में होती है. इस वजह से इसका सबसे ज्यादा शिकार भेड़ होती हैं. ये भेड़ों की आंखों की रोशनी पर असर डालती है. खुरों में घाव कर देती है. इतना ही नहीं पशुओं के शरीर में पंक्चर कर देती है. पेट को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है. 
  • जैंथियम स्ट्रैख मारियम का फल पशुओं के शरीर पर चिपक जाता है. क्योंकि ये फल कांटेदार होता है तो इसके चलते पशुओं को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है. 
  • एस्ट्राग्लाओस खरपतवार खासतौर पर राजस्थान में होती है. अगर गर्भवती भेड़ और बकरी इसे खा ले तो उनका गर्भपात हो जाता है. 
  • रोडो डेंड्रोन खरपतवार कश्मीर में होती है. अगर इसे भेड़ या बकरी खा ले तो उन्हें दस्त लग जाते हैं. साथ ही ये उनके दूध और खून पर भी असर डालता है. 
  • पत्तेदार स्पेरेज के खाने से भी पशुओं को दस्त लग जाते हैं. ये कमजोरी भी पैदा करता है. खासतौर पर ये भेड़ के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक माना जाता है. 
  • सूखे की स्थिति होने पर चेनोपोडियम खरपतवार पनपने लगती है. इसमे नाइट्रोजन की मात्रा एक हजार पीपीएम तक पहुंच जाती है. और जब पशु इसे खाता है तो उसे सांस की बीमारी हो जाती है. 
  • नीटल खरपतवार के बाल से पशुओं में खुजली होने लगती है. 
  • भेड़-बकरी और याक से ऊन मिलती है. लेकिन जैन्थियम स्पेसिस खरपतवार जब इनके शरीर से चिपकती है तो उनके शरीर पर मौजूद रेशे को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती रहती है. 

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