Tips for Animal Husbandry देश में दूध देने वाले पशुओं की संख्या दूसरे देशों के मुकाबले बहुत ज्यादा है. दूध उत्पादन के मामले में भी भारत पहले नंबर पर है. डेयरी एक्सपर्ट का दावा है कि हम दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए हमेशा तैयार हैं. विदेशों में भारतीय घी और मक्खन की बहुत डिमांड है. देश के बाजारों में भी दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की मांग लगातार बनी रहती है. लेकिन इतना सब होने के बाद भी देश का पशुपालन आगे नहीं बढ़ पा रहा है. हालत ये हैं कि बहुत सारे लोगों ने पशुपालन छोड़ दिया है.
अभी भी ये सिलसिला जारी है. क्योंकि डेयरी एक्सपर्ट के मुताबिक अभी भी कुछ ऐसे कारण हैं जिसके चलते डेयरी सेक्टर आगे नहीं बढ़ पा रहा है. एक्सपोर्ट मार्केट में जगह नहीं बना पा रहा है. बाजार घरेलू हो या विदेशी दो-तीन प्रोडक्ट को छोड़कर बाकी को हम बेच नहीं पा रहे हैं. एक साल में 24 करोड़ टन दूध उत्पादन होने के बाद भी हम प्रोडक्ट की लागत को कम नहीं कर पा रहे हैं.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी और पशुपालन में बदलाव लाने और मुनाफे वाला बनाने के लिए हमे छह खास काम करने होंगे. ये सभी छह काम मिल्क रेव्युलेशन-2 की तरह से ही हैं.
पहले तो हमे प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि आज सबसे बड़ी जरूरत ज्यादा से ज्यादा किसानों को पशुपालन में लाने की है. इतना ही नहीं जो पहले से काम कर रहे हैं उन्हें रोकने पर भी हमे ध्यान देना होगा. सबसे पहली बात तो ये कि चार-पांच गाय-भैंस पालने वाले पशुपालक को कुछ बचता नहीं है. क्योंकि दूध की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चारे में खर्च हो जाता है. लगातार बिजली महंगी होने से लागत बढ़ गई है. अच्छा मुनाफा ना होने की वजह से किसान के बच्चे आज पशुपालन में भविष्य बनाना नहीं चाहते हैं. जब तक पशुपालन अर्गेनाइज्ड नहीं होगा तो दूध उत्पादन की लागत भी कम नहीं होगी.
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