बकरी के बच्चों को सर्दी ही नहीं गर्मियों में भी निमोनिया हो जाता है. यही वजह है कि ठंड के मौसम में उन्हें खास तरह की देखभाल की जरूरत होती है. अगर उन्हें ठंड से बचाने के लिए खास इंतजाम नहीं किए जाते हैं तो उनकी मौत भी हो जाती है. जबकि गाय-भैंस से ज्यादा बकरी पालन में बकरी के बच्चों से ही पालने वाले को मुनाफा होता है. वहीं इस मौसम में एक बड़ी परेशानी सूखे हरे चारे की भी होती है. क्योंकि सुबह ओस की बूंदों से हरा चारा गीला हो जाता है. उसमे नमी ज्यादा हो जाती है. इस तरह के हरे चारे को खाना किसी भी पशु के लिए आरामदायक नहीं होता है. इसी को देखते हुए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा ने एक खास तरह का रेडीमेड शेड बनाया है.
इस शेड के दोहरे फायदे हैं. इस शेड में बकरी के बच्चे ठंड से बचते हैं तो गीला हरा चारा भी इसी शेड में सुखाया जा सकता है. बहुत ही कम कीमत पर इसे पशुपालक खुद भी तैयार कर सकते हैं. इस तरह के खास शेड में 40 बच्चे तक एक साथ रखे जा सकते हैं. 60 से 70 हजार रुपये में ये तैयार हो जाता है. इसकी कीमत को लोहे की जाली की जगह लकड़ी का इस्तेमाल कर और कम किया जा सकता है.
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सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अरविन्द सिंह का कहना है कि बकरी पालन में बच्चों की मृत्य दर कम करने और उन्हें ठंड से बचाने के लिए सोलर ड्रायर विंटर प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार किया गया है. ये दोहरे काम करता है. सबसे पहले हम बच्चों को निमोनिया से बचाने की बात करें तो ठंड के मौसम ही नहीं गर्मी में भी बकरी के बच्चों को निमोनिया हो जाता है. इसलिए खासतौर पर ठंड के मौसम में बच्चों की सुरक्षा बहुत जरूरी हो जाती है. ट्रॉयल के तौर पर हमने सीआईआरजी में इस सिस्टम को लोहे की जाली के ऊपर बनाया है. जाली के पीछे प्लास्टिक की शीट्स लगाई गई हैं.
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इसके पीछे कुशन के पैनल लगाए जाते हैं. इस तरह बाहर की ठंडी हवा अंदर शेड में नहीं आती है. अंदर और गर्मी पैदा करने के लिए कुछ ज्यादा वॉट्स की लाइट लगाई जाती हैं. ऐसा सब करने से शेड के अंदर घुटन न हो इसके लिए एक एग्जॉास्ट फैन लगा दिया गया है. शेड में बिजली की सप्लाई बराबर बनी रहे इसके लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा करने से बच्चे बाहर के ठंडे मौसम से बच जाते हैं.