Sheep Farming: यूपी में भी पाली जा सकती है भेड़, ये खास नस्ल कराएगी मोटा मुनाफा, लगातार बढ़ेगी कमाई

Sheep Farming: यूपी में भी पाली जा सकती है भेड़, ये खास नस्ल कराएगी मोटा मुनाफा, लगातार बढ़ेगी कमाई

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो एक खास नस्ल की भेड़ की वजह से यूपी में भेड़ पालना आसान हो गया है. इस खास नस्ल की भेड़ को सिर्फ मीट के लिए पाला जाता है. भेड़ों की सभी नस्ल में ये एक ऐसी नस्ल की भेड़ है जो वजन के मामले में सबसे ज्यादा है. यूपी में ये नस्ल मुजफ्फरनगर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की है. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 13, 2025,
  • Updated Mar 13, 2025, 1:19 PM IST

भेड़ पालन के लिए राजस्थान एक पहचान बन चुका है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि राजस्थान के अलावा कहीं और भेड़ नहीं पाली जा सकती है. खासतौर से अगर यूपी की बात करें तो राजस्थान की तरह से ही यहां भी भेड़ पालकर मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. और अब तो बकरीद पर भी भेड़ों की डिमांड आने लगी है. इतना ही नहीं यूपी में भेड़ पालनकर कश्मीर समेत दक्षि‍ण भारत के कई राज्यों की डिमांड को भी पूरा किया जा सकता है. 

ऊन की डिमांड कम होने के बाद से अब मीट के लिए भेड़ की खूब डिमांड होने लगी है. घरेलू बाजार में भी अब भेड़ के मीट की खूब डिमांड आने लगी है. यूपी की बात करें तो यहां होने वाली एक खास नस्ल की भेड़ का मीट बहुत पसंद किया जाता है. इसलिए यूपी में भी भेड़ पालकर हर महीने मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. 

इसलिए डिमांड में रहती है यूपी की ये भेड़ 

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थारन (सीआईआरजी), मथुरा के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. गोपाल दास का कहना है कि मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट में चिकनाई (वसा) बहुत होती है. जिसके चलते हमारे देश के ठंडे इलाके हिमाचल प्रदेश, जम्मूं-कश्मीर और उत्तराखंड में मुजफ्फरनगरी भेड़ के मीट को बहुत पसंद किया जाता है. इसके अलावा आंध्रा प्रदेश में क्योंकि बिरयानी का चलन काफी है तो चिकने मीट के लिए भी इसी भेड़ के मीट की डिमांड रहती है. जानकार बताते हैं कि चिकने मीट की बिरयानी अच्छी बनती है. 

इसलिए काम की नहीं है मुजफ्फरनगरी भेड़ की ऊन 

डॉ. गोपाल दास बताते हैं कि राजस्थान में बड़ी संख्या में भेड़ पाली जाती हैं. लेकिन वहां पलने वाली भेड़ और मुजफ्फरनगरी भेड़ में खासा फर्क है. दूसरी नस्ल की जो भेड़ हैं उनकी ऊन बहुत अच्छी होती है. जबकि मुजफ्फरनगरी भेड़ की ऊन रफ होती है. जैसे ऊन के रेशे की मोटाई 30 माइक्रोन होनी चाहिए. जबकि मुजफ्फरनगरी के ऊन के रेशे की मोटाई 40 माइक्रोन है. गलीचे के लिए भी कोई बहुत बढ़िया ऊन नहीं मानी जाती है. 

ऐसे पहचाने असली मुजफ्फरनगरी भेड़ 

डॉ. गोपाल दास ने बताया कि अगर आप मुजफ्फरनगरी भेड़ खरीदने जा रहे हैं तो असली नस्ल की पहचान कुछ इस तरह से की जा सकती है. जैसे, देखने में इसका रंग एकदम सफेद होता है. पूंछ लम्बी होती है. 10 फीसद मामलों में तो इसकी पूंछ जमीन को छूती है. कान लम्बे होते हैं. नाक देखने में रोमन होती है. मुजफ्फरनगर के अलावा बिजनौर, मेरठ और उससे लगे इलाकों में खासतौर पर पाई जाती है. 

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