Animal Care in Flood: गाय-भैंस को बाढ़ से बचाने के लिए अभी से कर लें ये तैयारी, पढ़ें डिटेल

Animal Care in Flood: गाय-भैंस को बाढ़ से बचाने के लिए अभी से कर लें ये तैयारी, पढ़ें डिटेल

बाढ़ या जलभराव से पशुओं को बचाना कोई मुश्कि‍ल काम नहीं है. जरूरत बस इतनी है कि लाला लाजपत राय वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (लुवास), हिसार की ओर से जारी एडवाइजरी का पालन कर लिया जाए. क्योंकि तेज बारिश का अलर्ट मिलते ही पशुओं को किसी ऊंचे स्थान पर पहुंचाने के साथ ही कुछ और जरूरी काम कर लिए जाएं तो नुकसान को रोका जा सकता है.  

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 11, 2024,
  • Updated Jul 11, 2024, 12:21 PM IST

मॉनसून अपने चरम पर है. देश के कई राज्यों में बाढ़ का तांडव देखने को मिल रहा है तो कुछ राज्य में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. कई जगह पर सेना और एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. लेकिन इसके साथ ही अभी भी आईएमडी की ओर से लगातार कुछ और राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. आईएमडी की मानें तो खतरा अभी टला नहीं है. खास बात ये है कि बाढ़ आने और बाढ़ जैसे हालात पैदा होने पर इंसानों संग पशुओं को भी परेशानी उठानी पड़ती है. 

अगर ये कहा जाए कि सबसे ज्यादा पशुओं को ही नुकसान होता है तो कहना गलत नहीं होगा. लेकिन लाला लाजपत राय वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (लुवास), हिसार के एक्सपर्ट की मानें तो मॉनसून शुरु होते ही कुछ छोटी-छोटी तैयारियां कर पशुओं को बाढ़ के दौरान होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. ऐसा करने से पशुपालकों को भी नुकसान नहीं होगा. कई बार देखा गया है कि बाढ़ के दौरान एक ही झटके में बड़ी संख्या में पशुओं की जान चली जाती है.  

ये भी पढ़ें: Dairy Milk: डेयरी बाजार में बड़ी हलचल मचा सकता है दूध पाउडर, किसान-कंपनी सभी हैं परेशान

बाढ़ के नुकसान से ऐसे बचाएं पशुओं को 

मौसम पूर्वानुमान द्वारा बाढ़ या भारी बारिश की सम्भावना के अलर्ट पर जागरूक बने रहें.

बारिश की सम्भावना होने पर बाड़े में पशु निकासी योजना तैयार करें. 

पशुओं के लिए आवास का ऊंची जगह पहाड़ी आदि पर पहले से इंतजाम कर लें. 

बाढ़ के दौरान के लिए हरे चारे समेत पशुओं की सभी तरह की खुराक का इंतजाम कर लें. 

बाढ़ में पशुओं के लिए पीने के पानी का इंतजाम भी पहले से ही कर के रख लें. 

बाढ़ के दौरान पशुओं को संक्रमण से बचाने और बीमारियों का पता लगाने के लिए पशु की रोजाना जांच कराते रहें. 

बरसात के दौरान होने वाली गलघोटू, खुरपका-मुंहपका आदि की वैक्सीन पशुओं को लगवा दें. 

महामारी-बाढ़ के हालात में पशुओं की पहचान (टैगिंग) होना जरूरी है. जिससे राहत कार्य में आसानी हो सके. 

बाढ़ के दौरान पशु मैनेजमेंट के लिए इमरजेंसी किट जैसे हॉल्टर, रस्सी, दवाएं, साफ-सफाई के लिए उपकरण, सेल फोन, टार्च लाइट, पोर्टेबल रेडियो और बैट्रियां आदि तैयार कर लें. 

तेज बारिश का अलर्ट जारी होते ही बाड़े में पशुओं को खुला रखें उन्हें बांधे नहीं. जिससे की पानी आने पर वो भग सकें. 

पशु बाड़े के आसपास बिजली के तार हों तो उन्हें सही करा लें.

जो चीजें जल्द आग पकड़ सकती हैं उन्हें पशुओं के बाड़े से दूर ही रखें. 

जलभराव-बाढ़ के दौरान पशुओं की निगरानी रखें. पानी के स्तर की जानकारी लेते रहें. 

बाढ़ के दौरान मरे पशुओं को दफनाने के लिए छह फीट गहरा गड्डा खोदें जो नदी-कुएं से कम से कम 100 फुट दूरी पर हो. 

ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: बढ़ते दूध उत्पादन से खुला नौकरियों का पिटारा, जानें कैसे 

बाढ़ की संभावना ना होने पर भी करें ये काम 

बाहरी परजीवी नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें.  

डेयेरी फार्म पर प्राकृतिक विधि से परजीवी नियंत्रण जैसे की देसी मुर्गीपालन करें.

पशुओं को गीला चारा, काली-फफूंद लगी तूड़ी (भूसा) न दें.

चारे की हर वक्त उपलब्धता के लिए सम्पूर्ण फीड ब्लॉक का इस्तेमाल करें.

शेड और छतो पर जलभराव या पानी ना टपकने दें. पानी की निकासी पर पूरा ध्यान दें.

बारिश के दौरान पशुओं को बाहरी परजीवी (चिचड़, मख्खी) से होने वाले रोग बबेसिया, सर्रा, थेलेरिया से बचाने के उपाय कर लें. 

पशुओं के बाड़े में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और हवा का आवागमन (वेंटिलेशन) सही रखें. 
 

 

MORE NEWS

Read more!