बरसात के मौसम का आगमन हो गया है. इसके साथ ही पूरे देश में बारिश का दौर शुरू हो गया है. इससे खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे खिल गए हैं. वे धान सहित कई फसलों की रोपाई कर रहे हैं. लेकिन पशुपालन से जुड़े किसानों को सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि बरसात में मवेशी और पक्षियों के बीच तेजी से संक्रमण फैलता है. इससे उनकी मौत भी हो जाती है. अगर आप मुर्गी पालन करते हैं, तो आपको उनकी देखभाल में अधिक सर्तकता बरतनी चाहिए.
बरसात में जलभराव के कारण कीचड़ और कचरे के सड़ने से बहुत ही दुर्धंत पैदा होती है. इससे मुर्गियों में कई तरह के रोग पनपते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में मुर्गियों की बिल्कुल साफ सुथरी जगह पर रखना चाहिए. यदि आपने पॉलट्री फॉर्म खोल रखा है, तो उसके अंदर भी हमेशा सफाई रखें. इसके अलावा उनके खान-पान पर भी ध्या दें. इससे मुर्गियों को होने वाली संक्रमित बीमारियों से बचाया जा सकता है.
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एक्सपर्ट की माने तो बरसात के मौसम में उमस और ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है. इसके चलते मुर्गियों के चारे में फंगस लगने और कीड़े पनपने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं. यदि वे संक्रमित चारे खाते हैं, तो उनकी तबीयत भी खराब हो सकती है. ऐसे में मुर्गियों की मौत की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में आपकों ध्यान रखने की जरूरत है कि उनके आहार में नमी की मात्रा न हो. संभव हो, तो उनके आहार को धूप या हवा में सूखा दें.
मच्छर और मक्खियों से भी संक्रमण फैलता है. बरसात में इनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में इनके काटने से मुर्गियां बीमार भी पड़ सकती हैं. इसलिए मच्छर और मक्खियों से बचाने के लिए मुर्गियों के बाड़े में प्लास्टिक शीट या पर्दा लगा दें. साथ ही बाड़े के आसपास बारिश के पानी को नहीं जमने दें. क्योंकि जमे हुए बारिश के पानी में कई कीड़े और परजीवी का विकास होता है. इससे मुर्गियों में संक्रमण फैल सकता है.
मुर्गियों को गर्माहट ज्यादा पसंद है. ऐसे में उन्हें नमी वाली जगहों पर नहीं रखें. इस जगह को जितना सूखा रखेंगे, मुर्गियां उतनी ही सुरक्षित रहेंगी. इसके अलावा बारिश का मौसम मुर्गियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकता है. इसलिए बैक्टीरिया और वायरस से उनके संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण भी जरूरी है.
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