बरसात में पशुओं की डायरिया, पेट के कीड़े की बीमारी का ऐसे लगाएं पता, जानें डिटेल

बरसात में पशुओं की डायरिया, पेट के कीड़े की बीमारी का ऐसे लगाएं पता, जानें डिटेल

बकरी पालन में पशुपालक को सबसे ज्यादा नुकसान बकरियों की मृत्यु से होता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के एक्सपर्ट का कहना है कि अगर छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर बकरियों की निगनानी की जाए तो बकरियों को होने वाली बीमारी का पहले से ही पता लगाया जा सकता है.

मैदान में चरने जाती बकरियां. फोटो क्रेडिट-किसान तकमैदान में चरने जाती बकरियां. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 27, 2023,
  • Updated Jul 27, 2023, 3:49 PM IST

बरसात में उगने वाले हरे चारे में नमी बहुत होती है. यही वजह है कि पशुओं के डॉक्ट र अक्सर सलाह देते हैं कि मॉनसून में पशुओं को हरा चारा कम से कम खिलाना चाहिए. अगर खिला भी रहे हैं तो कुछ ऐहतियात जरूर बरतें. क्योंकि इस दौरान हरा चारा ज्यादा खाने से पशुओं में डायरिया की बीमारी होने का खतरा बना रहता है. वहीं अगर पशु दूषित पानी पी लेते हैं तो पेट में कीड़े होने की आशंका बढ़ जाती है. लेकिन खासतौर से बकरी की मेंगनी और उसकी आंखों को देखकर दोनों ही बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है.  

भेड़-बकरी में दिखाई देने वाले यह वो सामान्य लक्षण हैं जिनकी पहचान पशुपालक खुद कर सकता है और उसके आधार पर भेड़-बकरी का इलाज भी करवा सकता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के चलते कभी-कभी भेड़-बकरी की मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं बकरी के यूरिन में होने वाले बदलाव से भी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. 

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बकरी की आंखें देखकर पता चल जाता है पेट में कीड़े हैं या नहीं  

सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने किसान तक को बताया कि यह जरूरी नहीं कि डॉक्टर के पास ले जाने पर ही बकरी के पेट में होने वाले कीड़ों के बारे में पता चले. बकरी में होने वाले बदलावों को देखकर पशुपालक भी उसके बीमार होने का पला लगा सकते हैं. जैसे भेड़-बकरी के अंदर जब हिमोकस नाम का पैरासाइड पलने लगता है तो भेड़-बकरी की आंखों में बदलाव होने लगता है. क्योंकि हिमोकस भेड़-बकरी का खून चूसता है. और जब यह खून चूसने लगता है तो इसकी संख्या भी बढ़ने लगती है. 

स्वस्थ भेड़-बकरी की आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं. लेकिन अगर उसके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है. जैसे-जैसे हिमोकस की संख्या बढ़ती जाती है और वो खून चूसते हैं तो भेड़-बकरी की आंख सफेद पड़ने लगती है. जिसका मतलब यह है कि भेड़ या बकरी में खून की कमी हो रही है. 

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बदलती मेंगनी से पता चल जाता है कि बकरी को डायरिया है 

डॉ. आरएस पवैया ने बताया कि एक स्वस्थ बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी करती है. इसी से पता चल जाता है कि बकरी को कोई बीमारी नहीं है. अगर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो फौरन अलर्ट होने की जरूरत है. ये संकेत है कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. अगर मेंगनी पेस्ट जैसी कर रही है तो इसका मतलब कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो चुका है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहले पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच करा ले. 

यूरिन भी देता है बकरियों की बीमारी का सिग्नल  

बकरी के यूरिन की निगरानी से भी बकरियों की बीमारी के बारे में पता चल जाता है. पशुपालकों को ये देखते रहना चाहिए कि अगर बकरी का यूरिन भूसे यानि हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है और उन्हें डिहाइड्रेशन है. और अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो समझ जाइए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई चोट लगी है. और अगर कभी यूरिन कॉफी कलर का आने लगे तो समझिए कि उसके खून में इंफेक्शन है.

 

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