Poultry Egg: देश में 26 से 42 हो गए पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन, बढ़ेगा अंडों का एक्सपोर्ट

Poultry Egg: देश में 26 से 42 हो गए पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन, बढ़ेगा अंडों का एक्सपोर्ट

देश में पोल्ट्री फार्मर की इनकम बढ़ाने और अंडों का अच्छा दाम मिले इसके लिए एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. बीते कुछ वक्त से केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय के नेतृत्व में देश में पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे हैं. जिससे अंडों का एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सके.  

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Feb 13, 2025,
  • Updated Feb 13, 2025, 12:35 PM IST

अंडा उत्पादन के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. बीते साल ही 14 हजार करोड़ से ज्यादा अंडों का उत्पादन हुआ था. पोल्ट्री एक्सपर्ट और केन्द्र सरकार दोनों का ही मानना है कि देश में जितना अंडों का उत्पादन है उतना एक्सपोर्ट नहीं है. हालांकि इसके पीछे कई सारी वजह हैं. लेकिन उन्हीं में से एक प्रमुख कारण को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार लगातार काम कर रही है. एक्सपर्ट की मानें तो बहुत सारे देश चाहते हुए भी भारत से अंडा इसलिए नहीं खरीदते हैं कि उन्हें लगता है भारतीय पोल्ट्री में बीमारियां हैं. 

विदेशी खरीदारों के इसी डर को दूर करने के लिए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय देश में पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन बना रहा है. पहले चरण में 26 जोन बनाए गए थे. उसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 33 हो गई. हाल ही में सचिव अलका उपाध्याय ने जानकारी दी है कि देश में अब डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 42 हो गई है. अभी इन्हें बढ़ाने के लिए लगातार काम चल रहा है. इसका मकसद अंडों के एक्सपोर्ट को बढ़ाकर पोल्ट्री फार्मर की इनकम को बढ़ाना है. 

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इसलिए बनाए जा रहे हैं पोल्ट्री डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन 

एनीमल हसबेंडरी कमिश्नर अभीजीत मित्रा का कहना है कि कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पहले पशु-पक्षियों हुई और उसके बाद इंसानों में आई हैं. इन्हें जूनोटिक बीमारी कहा जाता है. लेकिन अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. 

डीजिज फ्री कंटेनमेंट जोन बनाने को करने होंगे ये काम 

  • पोल्ट्री फार्म की चारों तरफ से बाड़बंदी कर दें.  
  • बाड़बंदी होने से दूसरा जानवर फार्म में नहीं घुस सकेगा.
  • फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. 
  • फार्म पर हाथ साफ करने के लिए भी दवाई रखें. 
  • हाथ सेनेटाइज करने के बाद ही पशु-पक्षियों को हाथ लगाएं. 
  • पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से हाथ साफ करें.
  • ऐसा करने से पशु-पक्षियों की बीमारी इंसानों को नहीं लगती है.  
  • बाहरी व्यक्ति फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं. 
  • जूते उतारे नहीं जा सकते तो उन्हें सेनेटाइज करें. 
  • हाथ और उसके कपड़ों को भी सेनेटाइज कराएं. 
  • मुमिकन हो तो पीपीई किट पहनाकर फार्म के अंदर ले जाएं. 
  • जब भी फार्म पर कोई नया पशु-पक्षी आए तो उसे क्वारंटाइन करें. 
  • कम से कम 15 दिन के लिए पशु-पक्षि‍यों को अलग कमरे में क्वारंटाइन करें. 
  • पशुओं के छोटे बच्चे, बीमार पशु, गर्भवती पशु, हेल्दी पशुओं को अलग रखें.  
  • दूध देने वाले पशुओं को बीमार पशुओं से अलग रखें. 
  • मौसम के हिसाब से बाड़े में पशुओं का रखरखाव रखें. 
  • बरसात के मौसम में पशुओं को मच्छर-मक्खियों से बचाने के इंतजाम करें.

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