Animal Diseases: इंसान और पशुओं को बीमारियों से बचाएगा वन हेल्थ मिशन, जानें क्या हो रही तैयारी 

Animal Diseases: इंसान और पशुओं को बीमारियों से बचाएगा वन हेल्थ मिशन, जानें क्या हो रही तैयारी 

Zoonotic Diseases 70 फीसद बीमारियां ऐसी हैं जो पशु-पक्षि‍यों से इंसानों में होती हैं. इसी को देखते हुए जी-20 महामारी कोष इस पर बड़ी रकम खर्च कर रहा है. हाल ही में भारत को इस कोष से 25 लाख डालर मिले हैं. इस पर काम भी शुरू हो चुका है. वर्ल्ड बैंक और एशियन डवलपमेंट बैंक भी ऐसी बीमारियों से निपटने में भारत की मदद कर रहे हैं. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 22, 2025,
  • Updated May 22, 2025, 1:08 PM IST

Zoonotic Diseases जूनोटिक डिजीज एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं. पशुओं से इंसानों को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक डिजीज कहा जाता है. इस वक्त देश में एक बार फिर कोविड को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. देश के कई शहरों में कोविड के केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि अलर्ट रहा जाए. खासतौर से ऐसे लोगों को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है जो दिनभर में कई बार पशुओं के संपर्क में आते हैं. उन्हें छूते हैं और उनके नजदीक रहते हैं. क्योंकि, अगर सावधानियां न बरती जाएं तो पशु और इंसानों दोनों को नुकसान हो सकता है. 

पशुपालन हो या मुर्गी पालन दोनों में नुकसान उनके बीमार पड़ने या बीमारी से मरने पर होता है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुपालन में नुकसान हो ही ना अगर पशु-पक्षी बीमारियों की चपेट में ना आएं. क्योंकि बहुत सारी ऐसी बीमारियां हैं जो डेयरी और पोल्ट्री फार्म पर ताला तक लगवा देती हैं. ऐसी ही कुछ बीमारियों पर काबू पाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) शुरू किया गया है. 

NOHM ऐसे निपटेगा जूनोटिक डिजीज से 

  • नेशनल वन हैल्थ मिशन के तहत जूनोटिक डिजीज से निपटने के लिए एक प्लान तैयार किया गया है. जानकारों की मानें तो प्लान के तहत तीन लेवल पर सात बड़े काम किए जाएंगे. 
  • नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनेगी. 
  • पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया जाएगा. 
  • महामारी फैलने पर संयुक्त टीम रेस्पांस करेगी. 
  • मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम होगा. 
  • महामारी फैलने से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाया जाएगा. 
  • नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर महामारी की गंभीरता कम की जाएगी. 
  • प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान होगा. 
  • तय वक्त में बीमारी का पता लगाने, जीनोमिक, पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार किए जाएंगे. 

NOHM शुरू करने का ये है मकसद

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 लाख वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल 100 करोड़ केस सामने आते हैं और इससे 10 लाख की मौत हो जाती हैं. अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है. 

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