एनिमल वैक्सीन को लेकर तमाम तरह के सवाल उठते रहते हैं. इसमे एक सबसे बड़ा सवाल है वैक्सीन कोल्ड चेन मैनेजमेंट. आरोप लगते हैं कि कई-कई घंटे पहले फ्रिज में से निकली वैक्सीन पशुओं को लगाई जाती है, ऐसे में वो कितनी कारगर होती है. ऐसे ही कई तरह के सवाल वैक्सीनेशन को लेकर उठते रहते हैं. लेकिन आने वाले वक्त में अब पशुओं का टीकाकरण एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क की निगरानी में होगा. इसके लिए केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने एक एमओयू साइन किया है.
ये एमओयू संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ किया गया है. इसके तहत भारत में वैक्सीन कोल्ड चेन प्रबंधन, क्षमता निर्माण और संचार योजना के डिजिटलीकरण को बढ़ाने पर काम किया जाएगा. इस मौके पर डेयरी सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने बताया कि इस करार से टीकाकरण का दायरा और पहुंच बढ़ाने और वैक्सीन को हाईटेक कोल्ड चेन उपकरणों से लैस करने और सप्लाई चेन बनाने में बड़ी मदद मिलेगी.
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अलका उपाध्याय ने बताया कि पशुओं के बीच टीकाकरण का दायरा और पहुंच बढ़ाने में एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क बहुत मदद करेगा. क्योंकि 53.57 करोड़ छोटे-बड़े पशु और 85 करोड़ पोल्ट्री बर्ड की आबादी को देखते हुए सभी तरह की हैल्थ सुविधा दरवाजे तक पहुंचाना आसान नहीं होता है. इस तरह के टारगेट को पूरा करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि इस नेटवर्क से जुड़ने के बाद वैक्सीन की कोल्ड चेन और सप्लाई चेन मजबूत होगी. सबसे बड़ी बात ये कि वैक्सीन भरोसेमंद भी बनेगी.
इतना ही नहीं वैक्सीन का स्टॉक, मैनेजमेंट और कोल्ड उपकरण में वैक्सीन कितने तापमान पर मेंटेन हो रही है ये सब आनलाइन हो जाएगा. इसके लिए वैक्सीन डिजिटलीकरण किया जाएगा. इसका एक बड़ा फायदा ये होगा वैक्सीन की सप्लाई में आने वाली सभी तरह की परेशानियों को वक्त रहते दूर किया जा सकेगा.
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विभाग की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि जल्द ही खुरपका और मुंहपका बीमारी (एफएमडी) बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया जा रहा है. इसी के तहत अगली कड़ी में छोटे-बड़े सभी तरह के 70 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाई जाएगी. इस वैक्सीन की खरीद 900 करोड़ रुपये से की जा रही है.