केन्द्रीय मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्रालय ने समुद्र में मछली पकड़ने वाली बोट के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. मछली पकड़ने वाली बोट में अब लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) किट लगाई गई जाएगी. इसके लिए जरूरी सर्वे से लेकर स्टैंडर्ट ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) भी तैयार कर ली गई है. मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो बोट में एलपीजी किट लगने से एक नहीं कई बड़े फायदे होंगे. अभी तक समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान बोट में डीजल और बैन की जा चुकी कैरोसिन की अवैध बिक्री का इस्तेमाल किया जाता है.
कैरोसिन को बोट पर बहुत ही ज्यादा जोखिम वाला माना गया है. वहीं पर्यावरण के लिए भी बहुत खतरनाक है. वहीं दूसरी ओर एलपीजी किट मछली पकड़ने वाली बोट में लगने से समुद्र में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का काम करेगी और पर्यावरण को साफ-स्वच्छ रखने में अहम रोल अदा करेगी. समुद्र मछली पकड़ने से जुड़ा नेशनल इंस्टीट्यूट CIFNET एलपीजी किट के काम में अहम रोल अदा कर रहा है.
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लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) किट को लेकर CIFNET ने एक स्टडी की है. वहीं ICAT द्वारा किट का परीक्षण किया गया. इन दो रिपोर्ट के आधार पर बताया गया है कि एलपीजी किट बहुत किफायती है. प्रदूषणकारी उत्सर्जन में कमी के चलते पर्यावरण के लिए बहुत ज्यादा अनुकूल है. LPG संचालित बोट इंजन की शक्ति के मामले में विश्वसनीय है. वहीं इंजन की कम अंदरुनी टूट-फूट के कारण इंजन की लाइफ ज्यादा हो जाती है.
एसओपी के मुताबिक समुद्री मछली पकड़ने वाले जहाजों पर लगाए जाने वाले एलपीजी किट के डिजाइन, सुरक्षा जरूरत, ऑन बोर्ड स्थापना और परिचालन पहलुओं को शामिल किया गया है. इन एसओपी का पालन करने से समुद्री मछली पकड़ने वाले जहाजों पर एलपीजी सिस्टम के सुरक्षित और कुशल इस्तेमाल को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इसके चलते बोट पर काम करने वालों और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा होगी. ईंधन लागत में बचत से मछुआरों की आय बढ़ेगी और उत्सर्जन में कमी से पर्यावरण स्थिरता में वृद्धि होगी.
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