Kherigarh Cow: खेरीगढ़ नस्ल की गाय हैं बहुत खास, नहीं पड़ती हैं जल्दी बीमार, जानें पहचान और अन्य विशेषताएं

Kherigarh Cow: खेरीगढ़ नस्ल की गाय हैं बहुत खास, नहीं पड़ती हैं जल्दी बीमार, जानें पहचान और अन्य विशेषताएं

Kherigarh Cow Dairy Farming: खेरीगढ़ एक देसी नस्ल की गाय है. छोटे किसानों के लिए यह बहुत लाभकारी गाय है, क्योंकि इसके देखभाल में ज्यादा लागत नहीं आता है. खेरीगढ़ नस्ल की गायें एक ब्यान्त में लगभग 300-500 लीटर तक दूध देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल खेरीगढ़ गाय की पहचान और विशेषताएं- 

खेरीगढ गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर खेरीगढ गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Aug 11, 2023,
  • Updated Aug 11, 2023, 4:53 PM IST

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन बिजनेस को आमदनी का सबसे अच्छा और बड़ा स्रोत माना जाता है. उसमें भी गौपालन किसानों के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. गाय से ना सिर्फ दूध, बल्कि खेती के लिए गोबर की खाद मिल जाती है जिससे खेती की लागत में भी कमी आती है. जिस वजह से गाय पालन की ओर हर वर्ग के किसानों का रुझान बढ़ रहा है. अगर आप भी गाय पालन करने की सोच रहे हैं, तो खेरीगढ़ गाय का पालन कर सकते हैं. इस नस्ल का नाम क्षेत्र के नाम पर रखा गया है. इस नस्ल के मवेशी उत्तर प्रदेश के खेरी जिले में ज्यादातर पाए जाते हैं. वहीं कुछ जानवर निकटवर्ती पीलीभीत जिले में भी पाए जाते हैं.

खेरीगढ़ गाय को खीरी, खैरीगढ़ और खैरी गाय के नाम से जाना जाता है. वहीं खेरीगढ़ नस्ल की गायें एक ब्यान्त में लगभग 300-500 लीटर तक देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं गाय की देसी नस्ल खेरीगढ़ गाय की पहचान और विशेषताएं- 

खेरीगढ़ गाय की पहचान और विशेषताएं 

•    खेरिगढ़ नस्ल के बैल अच्छे भार वाहक होते हैं.
•    बैल सड़कों पर बहुत तेज दौड़ते हैं.
•    मवेशियों का रंग सफेद होता है. 
•    कुछ जानवरों का रंग धूसर (सफेद और काले रंग का मध्यवर्ती रंग) होता है.
•    मवेशियों के सींग उभरे हुए, बाहर और ऊपर की ओर मुड़े हुए होते हैं। ये आधार पर मोटे होते हैं. 
•    सींग मध्यम आकार (15 सेमी) के होते हैं.
•    प्रौढ़ गायों की ऊंचाई लगभग 122 सेंटीमीटर, जबकि बैलों की ऊंचाई लगभग 131 सेंटीमीटर होता है.
•    गायों के शरीर की लंबाई 111 सेंटीमीटर, जबकि बैलों के शरीर की लंबाई लगभग 114 सेंटीमीटर होता है.
•    प्रौढ़ गायों का वजन लगभग 300-350 किलोग्राम होता है, जबकि प्रौढ़ बैलों का वजन 450-500 किलोग्राम होता है.
•    खेरीगढ़ नस्ल की गायें एक ब्यान्त में अधिकतम 500 लीटर और अधिकतम 300 लीटर होता है.
•    पशु रोगों के प्रति प्रतिरोधी होते हैं और उपचार पर खर्च लगभग शून्य होता है.

खेरीगढ गाय की पहचान और विशेषताएं 

रोग और बीमारियां

बीमारियां: पाचन प्रणाली की बीमारियां, जैसे- सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि. 
रोग: तिल्ली का रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह खुर रोग, मैगनीश्यिम की कमी, सिक्के का जहर, रिंडरपैस्ट (शीतला माता), ब्लैक क्वार्टर, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना, और दाद आदि.

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शेड की आवश्यकता

गाय को भारी बारिश, तेज धूप, बर्फबारी, ठंड और परजीवी से बचाने के लिए शेड की आवश्यकता होती है. शेड बनवाने के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दें कि चुने हुए शेड में साफ हवा और पानी की सुविधा हो. इसके अलावा पशुओं की संख्या के अनुसार जगह बड़ी और खुली होनी चाहिए, ताकि वे आसानी से भोजन खा सकें और बैठ सकें.

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