Sea Food: अंडमान-निकोबार द्वीप बनेगा सीफूड की घरेलू-इंटरनेशनल डिमांड पूरी करने वाला हब, जानें कैसे

Sea Food: अंडमान-निकोबार द्वीप बनेगा सीफूड की घरेलू-इंटरनेशनल डिमांड पूरी करने वाला हब, जानें कैसे

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह टूना मछली का क्लस्टर घोषि‍त हो चुका है. टूना के साथ ही यहां कुछ और भी ऐसी मछलियां हैं जिनकी इंटरनेशनल मार्केट में डिमांड है. मछलियों के इसी भंडार का फायदा उठाने और यहां के मछुआरों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए इसे सीफूड का हब बनाने की तैयारी चल रही है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Nov 11, 2024,
  • Updated Nov 11, 2024, 9:50 AM IST

सीफूड की घरेलू और इंटरनेशनल डिमांड पूरी करने और एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए अचानक से अंडमान-निकोबार द्वीप की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. अंडमान में ही दो दिन बाद एक बड़ी इन्वेस्टर्स मीट भी होने जा रही है. इस मीट में देश-विदेश की फिशरीज से जुड़ी बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ही केन्द्रीय मंत्री और विभाग के बड़े अफसर भी शामिल होंगे. इन्वेस्टर्स और कंपनियों को सीफूड से जुड़ी अंडमान के बारे में जानकारियां दी जाएंगी. समुद्र में मछली पकड़ने से लेकर ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग अवसरों के बारे में बताया जाएगा. 

दक्षिण-पूर्व एशिया से नजदीक होने के चलते कैसे इन अवसरों को बड़े मुनाफे में बदला जा सकता है ये जानकारी भी इन्वेस्टर्स और कंपनियों के साथ साझा की जाएगी. खासतौर पर यहां सबसे ज्यादा पाई जाने वाली टूना मछली की भी बात होगी. गौरतलब रहे हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना (PMMSY) के तहत अंडमान-निकोबार द्वीप को टूना मछली का क्लस्टर घोषि‍त किया है. इसी के चलते 14 नवंबर को यहां इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जा रहा है. 

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जानें कैसे खास हो गया अंडमान-निकोबार द्वीप

फिशरीज डिपार्टमेंट से जुड़े अफसरों की मानें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (A&N द्वीप समूह) में मछली पालन और एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने और एक्सपोर्ट की अपार संभावनाएं हैं. दक्षिण-पूर्व एशिया से नजदीक है तो रणनीतिक भौगोलिक स्थिति और अपार समुद्री संसाधन का भरपूर फायदा उठाने का मौका मिलेगा. यहां अच्छी तरह से विकसित बंदरगाह सुविधाएं भी हैं जो बड़े मछली पकड़ने वाले जहाजों को एडजस्ट कर देते हैं. जरूरत के मुताबिक शिपिंग और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे भी हैं. अक्टूबर 2024 से इंटरनेशनल उड़ानें भी शुरू हो चुकी हैं. इसके चलते आसपास की इंटरनेशनल मार्केट के साथ सीधा संपर्क बढ़ेगा.

यहां प्रोसेसिंग यूनिट में हर साल 1.48 लाख टन सीफूड प्रोसेस की क्षमता है. जबकि वर्तमान में मछली उत्पादन सिर्फ 49 हजार टन ही है. मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप के द्वीप क्षेत्रों में मछली पालन के विकास को प्राथमिकता देती है, क्योंकि इन क्षेत्रों में समुद्री स्थिति का लाभ मिलता है. क्योंकि यहां टूना मछली जैसे बहुमूल्य संसाधन पाए जाते हैं. जो न सिर्फ इन क्षेत्रों के मछली उत्पादन बल्कि मछुआरों को भी जिंदगी जीने में मदद करेंगे. भारत के सीफूड एक्सपोर्ट में भी उछाल आएगा. 

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ये है इन्वेस्टर्स मीट का मकसद 

  • मौजूदा पहलों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर जानकारी साझा करना.  
  • निजी क्षेत्रों और व्यावसायिक समुदायों की चुनौतियों, कमियों और शक्तियों की पहचान करना.
  • मौजूदा और उभरते मुद्दों की पहचान करना. मछली पालन और एक्वाकल्चर के क्षेत्रों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के मद्देनजर तालमेल की संभावनाएं तलाशी जाएंगी. 
  • क्षेत्र में इस्तेमाल की जा रहीं मौजूदा नवीन तकनीक पर जानकारी का आदान-प्रदान करना.
  • दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में मछली पालन और एक्वाकल्चर की गतिविधियों में शामिल निजी क्षेत्रों के बीच नेटवर्क को बढ़ावा देना.
  • मछली पालन और एक्वाकल्चर गतिविधियों में शामिल निजी क्षेत्रों के बीच व्यावसायिक अवसरों की खोज करना.
     

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