Poultry: ‘पोल्ट्री के लिए खतरा साबित हो रहे ये दो बड़े मुद्दे, केन्द्र-राज्य सरकारें दें दखल’

Poultry: ‘पोल्ट्री के लिए खतरा साबित हो रहे ये दो बड़े मुद्दे, केन्द्र-राज्य सरकारें दें दखल’

पोल्ट्री फीड में 60 से 65 फीसद मक्का का इस्तेमाल होता है. लेकिन आज की तारीख में इसके दाम आसमान छू रहे हैं. कुछ वजहों के चलते इसकी कमी भी महसूस की जा रही है. वहीं पोल्ट्री से जुड़े अंडे-चिकन के बारे में अफवाहें फैलाकर इसकी डिमांड को प्रभावित किया जा रहा है. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jan 01, 2025,
  • Updated Jan 01, 2025, 11:52 AM IST

पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े अंडे और चिकन के कारोबार पर दो बड़े खतरे मंडरा रहे हैं. अगर जल्द ही इनका कोई हल नहीं निकाला गया तो देश को फूड सिक्योरिटी की गारंटी देने वाला ये सेक्टर पिछड़ जाएगा. मौजूद वक्त में एक मुद्दा मुर्गियों को जिंदा रखने से जुड़ा है तो दूसरा पोल्ट्री फार्मर की जिंदगी से. देश में लाखों की सुख्या में पोल्ट्री फार्मर हैं. हर हाल में दोनों का ही खुश रहना इस सेक्टर के लिए बहुत जरूरी है. वर्ना तेजी से बढ़ने वाला पोल्ट्री का ग्राफ कभी भी नीचे आ सकता है. 

ये कहना है पोल्ट्री इंडिया और इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय सिंह बायस का. उनका कहना है कि अगर पोल्ट्री सेक्टर को बचाना है तो जल्द से जल्द राज्य और केन्द्र सरकारों को मिलकर दखल देना होगा. वर्ना अब मौजूदा परेशानी से पोल्ट्री फार्मर के लिए जूझना मुश्किल होता जा रहा है. 

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कंट्रोल से बाहर हो रही है मक्का की परेशानी

प्रेसिडेंट उदय सिंह का कहना है कि मक्का की परेशानी कोई नई नहीं है. बीते डेढ़ साल से हम इस परेशानी से जूझ रहे हैं. हम इस उम्मीद में थे कि सरकार जल्द कोई कदम उठाएगी. इसी सोच के चलते पोल्ट्री फार्मर भी बहुत कम मुनाफे पर काम कर रहे थे. लेकिन अब अंडे-चिकन पर मुनाफा कमाना बहुत मुश्किल हो गया है. यहां तक की मुर्गियों का पेट भरना भी बहुत महंगा हो गया है. मक्का के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. कई बड़ी वजहों के चलते मक्का की कमी भी महसूस की जाने लगी है. बीते साल पोल्ट्री से जुड़ी सभी एसोसिएशन ने मक्का के लिए सरकार के सामने आवाज उठाई थी. लेकिन समस्या का समाधान तो दूर अभी हम लोगों से बातचीत ही नहीं की गई है. 

कारोबार को पीछे धकेल रही हैं अंडे-चिकन से जुड़ी अफवाहें

उदय सिंह का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर बाजार की परेशानी से तो जूझ ही रहा है, साथ में सोशल मीडिया पर कुछ लोग पोल्ट्री से जुड़ी अफवाहें फैलाते रहते हैं. अब ये प्रचार किया जा रहा है कि अंडे-चिकन के लिए मुर्गियों को स्टेरॉयड दिया जा रहा है. ये एकदम सरासर गलत है. अगर पोल्ट्री फार्मर मुर्गियों को स्टेरॉयड देने लगा तो लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी. फिर बाजार में सात-आठ रुपये का नहीं उससे कहीं ज्यादा का अंडा बिकेगा. वहीं चिकन के दाम भी आसमान छूने लगेंगे. इसी तरह से ज्यादा अंडा और चिकन लेने के लिए एंटी बायोटिक्स खि‍लाने की अफवाहें भी फैलाई जाती हैं.   

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