डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि आज विश्व के करीब 136 देश ऐसे हैं जहा भारत का बना घी-मक्खन खाया जाता है. लगातार ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है. साल 2022 से पहले देश से करीब 65 लाख मीट्रिक टन डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट होते थे. लेकिन बीते साल ही ये आंकड़ा एक लाख टन पर पहुंच चुका है. जबकि इस आंकड़े में स्किम्ड मिल्क शामिल नहीं है. गौरतलब रहे स्किम्ड मिल्क पाउडर भी बड़ी मात्रा में भारत से दूसरे देशों को एक्स पोर्ट होता है.
भारतीय घी-मक्खन के लिए दीवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल अकेले चार महीने में ही 500 करोड़ रुपये के घी-मक्खन का एक्सपोर्ट हुआ था. इसीलिए डेयरी सेक्टर लगातार मांग कर रहा है कि घी को ब्रांड बनाकर उसका एक्सपोर्ट किया जाए जिससे देश में होने वाले दूध उत्पादन का भी पूरा इस्तेमाल होने लगे. भारत दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है और यहां बीते साल 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का कहना है कि घी एक आयुर्वेद प्रोडक्ट है. इससे हमारी त्वचा अच्छी होती है, दिमाग भी अच्छा होता है. लेकिन हमे ये बात दूसरे देशों को बतानी होंगी. जब इटली ऑलिव आयल के लिए और स्विट्जरलैंड चॉकलेट के लिए अपनी पहचान बना सकता है तो भारत भी घी में विश्व स्तर पर अपनी पहचान कायम कर सकता है. आज कुछ स्तर पर पशुपालन और डेयरी सेक्टर में काम करने की कुछ जरूरत है. खासतौर पर पशुओं की कुछ खास बड़ी बीमारियों को लेकर.
एक्सपोर्ट के आंकड़ों पर जाएं तो विश्व भर के देशों में भारत 15 सौ करोड़ रुपये के घी का कारोबार करता है. कई बड़े देश भारतीय घी के शौकीन हैं. संयुक्त अरब अमीरात ने भारत से साल 2022-23 में 28 मिलियन डॉलर का घी खरीदा था. और भी कई ऐसे देश हैं जो छह मिलियन डॉलर से ज्यादा का सालाना घी खरीदते हैं. ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. गौरतलब रहे ब्रिटेन ने अपने सेनेटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) नियम के तहत भारतीय डेयरी प्रोडक्ट पर रोक लगा रखी है. इसी प्रतिबंध को हटवाने के लिए भारतीय अधिकारी बात कर रहे हैं.
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डॉ. आरएस सोढ़ी ने बताया कि देश में घी का कारोबार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है. ये आंकड़ा भी इस कारोबार में शामिल सिर्फ बड़े ब्रांड का है. लोकल लेवल पर और छोटे प्लेयर का काम भी कम छोटा नहीं है. 50 हजार करोड़ में से 1500 करोड़ रुपये का घी एक्स पोर्ट हो जाता है. लेकिन अगर हम घी के मामले में बाजार की कुछ नई स्ट्रेटेजी बनाने में कामयाब हो जाएं तो ये कारोबार दोगुना भी हो सकता है.