कारोबार को सुराक्षित बनाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO), जेनेवा में दो दिनी सम्मेलन आयोजित किया गया है. 18 मार्च को सम्मेलन का समापन हो जाएगा. एनीमल प्रोडक्ट को लेकर पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एडिशनल सेक्रेटरी वर्षा जोशी भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. 17 मार्च को उन्होंने सम्मेलन में भारतीय डेयरी और मीट प्रोडक्ट को लेकर अपनी बात रखी. प्रेजेन्टेशन के माध्यम से उन्होंने बताया कि डेयरी-पोल्ट्री प्रोडक्ट हो या बोवाइन मीट सभी बीमारियों की तरफ से सुराक्षित हैं.
भारत में पशुओं से जुड़ी बीमारियों को कंट्रोल और खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाय जा रहे हैं. वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एनीमल हैल्थ (WOAH) की सभी जरूरी गाइड लाइन का भी पालन किया जा रहा है. हम डिजीज फ्री कंटेंटमेंट जोन बनाकर और बीमारियों की क्षेत्रीय स्तर पर पहचान कर प्रोडक्ट को सुराक्षित बना रहे हैं.
सेक्रेटरी वर्षा जोशी ने सम्मेलन के दौरान बोलते हुए जानकारी दी की बोवाइन मीट और डेयरी प्रोडक्ट को एफएमडी सुराक्षित बनाने के लिए देश के नौ राज्यों में एफएमडी फ्री जोन बनाने पर काम चल रहा है. बीते साल दिल्ली में आयोजित पशुओं के टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान खुद वर्षा जोशी ने जानकारी दी थी कि सीरो-सर्विलांस के आधार पर कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात को एफएमडी फ्री जोन बनाने पर काम चल रहा है.
पशुपालन मंत्रालय का दावा है कि पशु स्वास्थ्य में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ रही है. खासतौर पर पशुओं की चार गंभीर बीमारियों खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर), ब्रुसेलोसिस और क्लासिकल स्वाइन फीवर से निपटने में विभाग को प्रमुख उपलब्धी मिली है. बीमारियों से निपटने के लिए एडवांस टीकाकरण पर काम चल रहा है. इसी के चलते भारतीय पशु उत्पादों के लिए बढ़ते हुए निर्यात अवसरों का रास्ता तय होने की उम्मीद है. और इसी से देश की वैश्विक बाजार में उपस्थिति बढ़ेगी. पशु स्वास्थ्य में सुधार के मकसद से प्राथमिकता वाली बीमारी सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसमे क्रॉस-सेक्टरल एक्सपर्ट की अहम भूमिका रही है. इसका मकसद देश के भविष्य की पीढ़ियों के लिए जानवरों, मनुष्यों और पर्यावरण के स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है.
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