पोल्ट्री एक्सपर्ट का दावा है कि देश के सभी कारोबारी सेक्टर में पोल्ट्री एक ऐसा सेक्टर है जो आठ से 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है. भारत अंडा उत्पादन में दूसरे तो चिकन में 5वें नंबर पर है. इसे देखते हुए ही केन्द्र सरकार ऐग एक्सपोर्ट पर जोर देने की बात कर रही है. अंडा उत्पादन एक्सपोर्ट क्वालिटी का हो इसके लिए देश में डिजिज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत हो चुकी है. अभी कुछ समय पहले ही सरकार ने संसद में ये जानकारी दी है कि बीते कुछ साल में अंडों का एक्सपोर्ट बढ़ा है.
कई नए देश भारतीय अंडों के खरीदार बने हैं. साल 2023-24 से ऐग एक्सपोर्ट के आंकड़ों ने भी उछाल भरी है. एक्सपर्ट की मानें तो इसके पीछे बड़ी वजह पोल्ट्री कंपार्टमेंटलाइजेशन है. साथ ही रूस-उक्रेन वॉर के बाद से भी अंडों के नए खरीदार देश भारत आए हैं.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2023-24 में ओमान, मालदीव, कतर, यूएई, कुवैत, सोमालिया, कैमरून, इंडोनेशिया, जापान और रूस ने भारत से जमकर अंडों की खरीद की है. जबकि कैमरून और सोमालिया ने पहली बार भारत से अंडों की खरीद की है. श्रीलंका और बांग्लादेश भी भारत से अंडों की खरीद कर रहे हैं. सरकार ने इस आंकड़े को जारी करते हुए उम्मीद जताई है कि ये आंकड़ा और बढ़ सकता है. गौरतलब रहे केन्द्रीय डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ऐग एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए खास प्लान पर काम कर रहा है. अंडा एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए ही पोल्ट्री कंपार्टमेंटलाइजेशन की शुरुआत की गई है.
पशुपालन मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय के निर्देशन में अलग-अलग राज्यों में 31 डिजिज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाए गए हैं. इनके बनने का तरीका ये है कि पोल्ट्री फार्मर सेल्फ डिक्लेरेशन देते हैं कि उनके पोल्ट्री फार्म में जिन अंडों का उत्पादन हो रहा है वो बीमारी रहित हैं. उसके बाद मंत्रालय की मदद से उसे वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) को भेजा जाता है. जब डब्ल्यूएचओ की मुहर भी उस पर लग जाती है तो उसे डिजिज फ्री कंपार्टमेंट जोन घोषित कर दिया जाता है. साथ ही एक सर्टिफिकेट भी मिल जाता है. जिसके बाद पर अंडे एक्सपोर्ट करने में आसानी हो जाती है.
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