Tree Fodder: सर्दियों में बकरियों को पेड़ों से निकला हरा चारा खि‍लाया तो होंगे ये फायदे, पढ़ें डिटेल 

Tree Fodder: सर्दियों में बकरियों को पेड़ों से निकला हरा चारा खि‍लाया तो होंगे ये फायदे, पढ़ें डिटेल 

भीगा हुआ यानि गीला हरा चारा भेड़-बकरी ही नहीं गाय-भैंस को भी नुकसान पहुंचाता है. गीला चारा खाने से पेट संबंधी बीमारियां हो जाती हैं. इसलिए बरसात औार सर्दियों के मौसम में हरे चारे की बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लेकिन खासतौर पर भेड़-बकरियों को पेड़ से निकला चारा खि‍लाकर इसकी भरपाई की जा सकती है.

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jan 14, 2025,
  • Updated Jan 14, 2025, 3:31 PM IST

मौसम कोई भी हो, लेकिन बकरे-बकरियों का पेट भरने की परेशानी हमेशा बनी रहती है. गर्मी हो तो हरे चारे की कमी. बरसात का मौसम हो तो चारा गीला है या खेतों में पानी भरा हुआ है. अगर सर्दियों की बात करें तो इस मौसम में बेशक परेशानी कम हो जाती है, लेकिन चारे को सुखाने की एक अलग परेशानी सामने आ जाती है. शायद इसीलिए फोडर साइंटिस्ट सर्दियों के दौरान बकरे-बकरियों को ट्री फोडर यानि पेड़ों से निकला चारा खि‍लाने की सलाह देते हैं. 

इससे चारे की परेशानी भी कम हो जाती है ओर पेड़ों से निकला हरा चारा पशुओं के लिए दवाई का काम भी करता है. और एक खास बात ये कि बकरी किसी भी नस्ल की हो, लेकिन वो पेड़ों से निकले और सीधे पेड़ों से तोड़कर खाए जाने वाले चारे को बहुत पसंद करती हैं.   

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पेड़ का चारा खाने से नहीं होती हैं कई बीमारियां 

फोडर साइंटिस्ट डॉ. एलके सिंह का कहना है कि सर्दियों के मौसम में हरे चारे की थोड़ी कमी हो जाती है. नेपियर घास भी उतनी नहीं मिल पाती है. दूसरी बात ये कि जमीन पर पड़े चारे के मुकाबले बकरी डाल से तोड़कर खाना पसंद करती है. इसमे बकरी को खुशी भी महसूस होती है. अगर मैदान में हरा चारा नहीं है तो हम ट्री फोडर यानि नीम, गूलर, अरडू आदि पेड़ की पत्तियां खिला सकते हैं. बकरियां इन्हें खाना खूब पसंद करते हैं. सर्दियों में तो खासतौर पर नीम की पत्तियां खाना बहुत पसंद करती हैं. 

और एक खास बात ये कि पेड़ों की पत्तियां बकरियों के लिए चारा तो होती ही हैं, साथ में दवाई का काम भी करती हैं. जैसे नीम खाने से पेट में कीड़े नहीं होते हैं. वहीं मोरिंगा खिलाने से तो बकरे-बकरियों की ग्रोथ अच्छी होती है और प्रोटीन होने के चलते मीट का स्वाद भी बढ़ जाता है. दूसरा ये कि बरसात में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत होती है. इससे डायरिया होने का डर बना रहता है. जबकि पेड़ों में पानी कम होता है तो डायरिया की संभावना ना के बराबर रहती है.

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