FMD Symptoms and Treatment गाय-भैंस का दूध उत्पादन कम हो जाए तो पशुपालक को नुकसान होता है. और अगर किसी भी वजह से लागत बढ़ जाए तब भी पशुपालक को ही नुकसान होता है. और कई बार तो ऐसा होता है कि ये दोनों ही काम एक साथ होते हैं. और ये अक्सर तब होता है जब पशु बीमार हो या बीमार होने वाला हो. खुरपका-मुंहपका (FMD) बीमारी में भी ऐसा ही होता है. गाय-भैंस और भेड़-बकरी में ये बीमारी आम है. क्योंकि ये ऐसे पशुओं को होती है जिनके खुर होते हैं और खुर के बीच में जगह होती है.
लेकिन एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इस बीमारी की शुरुआत में ही इसकी रोकथाम कर ली जाए तो डबल नुकसान से बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी ये है कि हम एफएमडी के लक्षणों को पहचान सकें और पहचान के साथ ही कुछ जरूरी उपाय भी कर लें. इतना ही आम दिनों में भी कुछ उपाय करके पशुओं को इस बीमारी से दूर रखा जा सकता है.
ऐसे पहचानें एफएमडी के लक्षण
- एनिमल एक्सपर्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि एफएमडी दुधारू पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी में तो होती है साथ में घोड़े जैसे पशुओं में भी होती है. इसीलिए इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जैसे ही आप लक्षण पहचान लेंगे तो उसे फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय भी अपना लेंगे.
- एफएमडी की रोकथाम के लिए अपनाएं ये उपाय
- एनिमल एक्सपर्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि बहुत आसान तरीकों से पशुओं में एफएमडी की रोकथाम की जा सकती है. ये वो उपाय हैं जिसमे कोई पैसा भी खर्च नहीं होता है.
- पशु पीडि़त हो या नहीं उसका रजिस्ट्रेशन कराएं.
- पशु की ईयर टैगिंग जरूर करवाएं.
- पशु को साल में दो बार एफएमडी का टीका लगवाएं.
- सभी सरकारी केन्द्र पर टीका फ्री लगाया जाता है.
- पशु के बैठने-खड़े होने की जगह को साफ और सूखा रखें.
एफएमडी का ऐसे करें उपचार
- पीड़ित पशु को बाकी सभी हेल्दी पशुओं से अलग रखें.
- मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट से धोएं.
- बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर पशु के मुंह की सफाई करें.
- खुर के घावों को पोटेशियम या बेकिंग सोडा से धोएं.
- पशु के घावों पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाते रहें.
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