युवाओं की शिकायत है कि उन्हें नौकरी के मौके नहीं मिल रहे हैं. कई विभागों में कई-कई साल से भर्तियां नहीं हुई हैं. लेकिन इन आरोपों के बीच एक सेक्टर ऐसा भी है, जहां लगातार सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के दरवाजे खुले हुए हैं. सरकारी विभाग हो या फिर प्राइवेट कंपनी, सभी को स्किल्ड लेबर, तकनीशियन से लेकर वेटनेरियन तक की जरूरत है. लाइव स्टॉक एक्सपर्ट की मानें तो आज डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज सेक्टर तेजी से बढ़ रहे हैं. आने वाले सात साल में डेयरी सेक्टर में सबसे ज्यादा निवेश होने वाला है.
अंडे-चिकन की डिमांड भी करीब फीसद की रेट से बढ़ रही है. उसी हिसाब से कंपनियों को फार्म के लिए स्टॉशफ की जरूरत महसूस हो रही है. कोरोना के बाद से तो हर तरह के स्टॉफ की कमी महसूस होने लगी है. एक्सपोर्ट मार्केट में भी डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज की डिमांड बढ़ने लगी है तो बायो सिक्योरिटी के मानक पूरे करना भी जरूरी हो गया है.
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डॉ. इन्द्र्जीत सिंह, वाइस चांसलर, गुरू अंगद देव वेटनेरियन और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना का कहना है कि देश में 70 से ज्या दा वेटनरी कॉलेज और यूनिवर्सिटी हैं. आईवीआर, बरेली और डेयरी रिसर्च इंस्टीवट्यूट, करनाल जैसी चार डीम्ड यूनिवर्सिटी भी हैं. ये सरकारी संस्थान का आंकड़ा है. बावजूद इसके देश में वेटनेरियन और पैरा वेट तकनीशियनों की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है. हर एक राज्य में कम से कम दो से तीन वेटरनरी कॉलेज हैं. यहां से हजारों की संख्या में छात्र डिप्लोमा से लेकर डिग्री तक हासिल कर फील्ड में जा रहे हैं.
डॉ. इन्द्र्जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि देश में संचालित होने वाले वेटरनरी कॉलेज अलग-अलग कोर्स की डिग्री दे रहे हैं. अगर हम सिर्फ गडवासु यूनिवर्सिटी की ही बात करें तो हमारे यहां साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने वाला छात्र नीट क्लीयर करने के बाद वेटनेरियन की डिग्री ले सकता है. अगर नीट के अलावा बात करें तो साइंस स्ट्रीम वाले छात्र एनीमल बॉयो टेक्नोलाजी में बीटेक कर सकते हैं. फिशरीज साइंस में डिग्री ले सकते हैं. इतना ही नहीं अगर आपने 12वीं गणित से की है तो आप डेयरी एक्सपर्ट भी बन सकते हैं. एनडीआरआई से डेयरी में पीएचडी भी कर सकते हैं. 12वीं की मेरिट के आधार पर एडमिशन लिए जाते हैं.
आईवीआरआई, बरेली की बेवसाइड के मुताबिक लाइव स्टॉक सेक्टर के अलग-अलग फील्ड में जाने के लिए आप वोकेशनल और सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं. इसके साथ ही वैल्यू एडेड कोर्स, डिप्लोमा कोर्स, यूजी प्रोग्राम के साथ ही मास्टर और डॉक्टरल प्रोग्राम में भी अपनी पसंद के कोर्स कर सकते हैं.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि जब ऑर्गनाइज्ड तरीके से एक लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग होती है तो इससे छह हजार लोगों को नौकरी मिलती है. इसमे से चार हजार नौकरी के मौके तो सिर्फ गांव में ही खुलते हैं.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा का कहना है कि आज छोटे से लेकर 50 हजार मुर्गे-मुर्गी वाले पोल्ट्री फार्म को कम से कम एक बायो सिक्योरिटी एक्सपर्ट की तो जरूरत है ही. जो बड़े लेवल के फार्म हैं जिनकी संख्या छोटी नहीं है उन्हें तो वेटनेरियन तक की जरूरत होती है.