केरल में शुरू हुई पशु बीमा की ये खास स्कीम, किसानों को गर्मी के आधार पर मिलेगा मुआवजा 

केरल में शुरू हुई पशु बीमा की ये खास स्कीम, किसानों को गर्मी के आधार पर मिलेगा मुआवजा 

केरल के डेयरी किसान इन दिनों एक खबर की वजह से काफी खुश हैं. दरअसल एर्नाकुलम क्षेत्रीय सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (ईआरसीएमपीयू) की तरफ से हीट-इंडेक्‍स के आधार पर पशु बीमा योजना शुरू की गई है. इस योजना की वजह से किसानों के बीच खुशी का माहौल है और उन्‍होंने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है.

केरल में जानवरों के लिए नई बीमा स्‍कीम
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 04, 2024,
  • Updated May 04, 2024, 4:37 PM IST

केरल के डेयरी किसान इन दिनों एक खबर की वजह से काफी खुश हैं. दरअसल एर्नाकुलम क्षेत्रीय सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (ईआरसीएमपीयू) की तरफ से हीट-इंडेक्‍स के आधार पर पशु बीमा योजना शुरू की गई है. इस योजना की वजह से किसानों के बीच खुशी का माहौल है और उन्‍होंने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है. वहीं दुग्‍ध उत्‍पादक संघ की तरफ से भी इस पर आधिकारिक बयान दिया गया है. 

25000 जानवरों को मिलेगा कवर 


ईआरसीएमपीयू के अध्‍यक्ष एमटी जयन के हवाले से अखबार हिंदू ने लिखा है कि राज्‍य में बढ़ते तापमान को देखते हुए अप्रैल और मई के लिए शुरू की गई नई योजना में करीब 25000 जानवरों को बीमा कवर मिला. प्रति डेयरी इकाई में पशुओं की औसत संख्या को ध्यान में रखते हुए, करीब 10000 किसान इसमें  शामिल हो सकते हैं. यह बीमा योजना त्रिशूर, एर्नाकुलम, कोट्टायम और इडुक्की जिलों के किसानों के लिए शुरू की गई है. इस क्षेत्र के किसान क्षेत्रीय सहकारी समिति के अंतर्गत आते हैं. इस क्षेत्र में करीब 1000 डेयरी सहकारी समितियां हैं. 

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99 रुपये का प्रीमियम 

बीमा का प्रीमियम 99 रुपये प्रति पशु है. इसमें से 50 रुपये का भुगतान क्षेत्रीय सहकारी द्वारा और 49 रुपये का भुगतान बेनफिशीएरीज की तरफ से किया जाता है. बीमा कवर सीधे किसानों के खातों में भेजा जाएगा. बढ़ते तापमान का पशुओं के सामान्य स्वास्थ्य के साथ-साथ दूध उत्पादन पर भी असर नजर आ रहा है. जयन ने बताया कि क्षेत्र में दूध की खरीद प्रतिदिन करीब एक लाख लीटर कम हो गई है. राज्य भर में कुल मिलाकर दूध उत्‍पान में इस बार 20 फीसदी की कमी है. यह सामान्य स्तर से प्रतिदिन कम से कम तीन लाख लीटर की कुल कमी का संकेत देता है. 

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गर्मी की वजह‍ उत्‍पादन में कमी  

एर्नाकुलम क्षेत्र में दूध की औसत खरीद प्रतिदिन करीब 3.25 लाख लीटर होती थी. वहीं, दूध की बिक्री अब चार लाख लीटर के आसपास है.  स्थानीय दूध आपूर्ति में कमी को महाराष्ट्र और कर्नाटक से आयात के माध्यम से पूरा किया जा रहा है.जयन ने कहा कि गर्मी का स्तर अधिक होने के कारण डेयरी किसान चारा इकट्ठा करने या जानवरों को चारे के लिए बाहर छोड़ने की स्थिति में नहीं हैं. लू से बचाव के लिए जानवरों को दिन के अधिकांश समय छायादार पेड़ों के नीचे या मवेशियों के शेड में सहारा दिया जा रहा है. गर्मी के दौरान उन्हें बार-बार पानी देना जरूरी है. इससे उन किसानों का काम बढ़ गया है जो दिन के समय हरा चारा इकट्ठा करते थे या अन्य चारा तैयार करते थे.

 

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