बच्चों में से विटामिन ए और डी की कमी को दूर करने के लिए गिफ्ट मिल्क योजना शुरू की गई है. योजना के तहत मयूरभंज, ओडिशा के 12 सौ स्कूली बच्चों को हर रोज गिफ्ट में दूध दिया जाएगा. 200 ग्राम फ्लेवर्ड मिल्क स्कूल के वक्त पीने को दिया जाएगा. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की मदद से ये योजना शुरू की गई है. 14 जनवरी को आनलाइन मोड में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने योजना का शुभारंभ किया. वहीं इस मौके पर इलाके के किसानों को हाई जेनेटिक पशु भी वितरित किए गए.
वहीं “नए बाजार सहायता कार्यक्रम” के तहत दूध खरीद क्षमता को बढ़ाने की घोषणा भी की गई. पांच साल की योजना के लिए बजट की घोषणा भी की गई है. इस दौरान आनलाइन मोड में केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री समेत मंत्रालय से जुड़े दूसरे मंत्री और अफसर से भी इस खास कार्यक्रम से जुड़े हुए थे.
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत मयूरभंज, ओडिशा में मवेशी प्रेरण कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस नई पहल के साथ मयूरभंज जिले के लाभार्थियों को तीन हजार हाई जेनेटिक योग्यता वाले दुधारू पशुओं का वितरण किया गया. डीएएचडी की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत, एनडीडीबी द्वारा मयूरभंज में पांच साल के लिए दूध उत्पादन वृद्धि परियोजना की शुरुआत की गई है. इसके लिए 37.45 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. ये परियोजना पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरु की गई है.
मयूरभंज में स्कूली बच्चों के लिए गिफ्ट मिल्क योजना भी शुरू की गई है. कुपोषण से निपटने और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस योजना को डिजाइन किया गया है. यह कार्यक्रम मयूरभंज जिले के 12 सौ स्कूली बच्चों को विटामिन ए और डी से भरपूर 200 मिली फ्लेवर्ड दूध उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया है. इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि पोषण और शिक्षा पर ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए. साथ ही उम्मीद करते हैं कि गिफ्ट मिल्क कार्यक्रम देशभर में एक मॉडल के रूप में होते रहेंगे.
केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस मौके पर बोलते हुए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) की सफलता पर जोर दिया. उनका कहना है कि इस योजना से देशी गोजातीय नस्लों की नस्ल सुधार और दूध उत्पादकता बढ़ाने पर काम किया गया है. केंद्रीय मंत्री ने ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और किसानों के लिए बाजार संपर्क में सुधार करते हुए रणनीतिक डेयरी पहलों के लिए लगातार समर्थन प्रदान करने के लिए डीएएचडी और एनडीडीबी के प्रयासों की भी सराहना की.
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