झींगा उत्पादन के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है. पहले नंबर पर इक्वाडोर आता है. इक्वाडोर की तरह भारत भी झींगा के मामले में एक्सपोर्ट पर निर्भर है. उत्पादन का करीब 80 फीसद झींगा एक्सपोर्ट हो जाता है. बाकी बचे 20 फीसद झींगा को मुश्कि ल से घरेलू बाजार में ग्राहक मिल पाते हैं. जिसके चलते विदेशी बाजारों में भारतीय झींगा को मनमानी का सामना करना पड़ता है. जबकि भारत में झींगा उत्पादन का आंकड़ा और बढ़ाया जा सकता है. लेकिन हम अभी वो ही नहीं बेच पा रहे जो अभी उत्पादित हो रहा है.
आंध्र प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्य बड़ी मात्रा में झींगा का उत्पादन करते हैं. झींगा से जुड़े जानकारों की मानें तो विदेशी बाजार में 14 से 15 ग्राम के भारतीय झींगा की बहुत डिमांड है. लेकिन बावजूद इसके झींगा उत्पादक किसान खाली हाथ है. इसकी बड़ी वजह है रेट के मामले में इक्वाडोर भारतीय झींगा के आड़े आ जाता है.
झींगा एक्सपर्ट डॉ. मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि 14-15 ग्राम वजन वाला झींगा तालाब में 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है. अगर झींगा पालन में किसी तरह की कमी रह भी जाती है तो ज्यादा से ज्यादा 90 दिन में तो हर हाल में तैयार हो ही जाता है. अगर बड़े साइज का झींगा तैयार करना है तो ज्यादा से ज्यादा चार महीने यानि 120 दिन में तैयार हो जाएगा. इस तरह से एक साल में झींगा की तीन से चार फसल आसानी से तैयार की जा सकती है. भारत में हर साल करीब 12 लाख टन झींगा का उत्पादन हो रहा है. जबकि इक्वाडोर करीब 16 लाख टन झींगा का उत्पादन करता है.
वैसे तो देश ही नहीं विदेशों के बाजार में हर तरह के साइज वाले झींगा की डिमांड है. जैसे चीन और अमेरिका की बात करें तो यहां झींगा की बहुत खपत है. यहां बड़े साइज का झींगा ज्यादा खाया जाता है. अगर छोटे साइज जैसे 14 से 15 ग्राम की बात करें तो इसकी सबसे ज्यादा डिमांड है. एक किलो वजन में यह 60 से 70 पीस आ जाते हैं. नौ ग्राम का झींगा भी बाजार में मांगा जाता है. लेकिन इसकी डिमांड ज्यादा नहीं है.
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