विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए साल 2016 में एक पहल शुरू की गई थी. महाराष्ट्र सरकार और नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने मिलकर ये बीड़ा उठाया था. उस वक्त योजना शुरू करने के लिए विदर्भ और मराठवाड़ा के 12 गांवों को योजना से जोड़ा गया था. मकसद बस यही था कि दूध का उत्पादन बढ़े, पशुपालकों का दूध वक्त से बिक जाए और उन्हें दूध का सही दाम मिल जाए. जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार आ सके.
उस वक्त 12 गांवों के पशुपालकों से 175 किलोग्राम दूध खरीदा जाता था. लेकिन आज नौ साल बाद दूध की मात्रा 4.50 लाख किलोग्राम हो गई है. ये जानकारी केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने संसद में दी है. एक सवाल के जवाब में मंत्रालय ने ये भी बताया कि 12 गांवों से शुरू हुआ ये अभियान अब करीब 3.5 हजार गांवों को अपने साथ जोड़ चुका है.
संसद में जानकारी देते हुए मंत्रालय ने बताया कि विदर्भ और मराठवाड़ा में आज की तारीख में 35 हजार पशुपालक महाराष्ट्र सरकार और एनडीडीबी के इस अभियान से जुड़े हुए हैं. अच्छी बात ये है कि अभियान की शुरुआत से लेकर 20 फरवरी, 2025 तक पशुपालकों को दूध के लिए 2303.26 करोड़ रुपये का सीधे तौर पर भुगतान किया जा चुका है. किसान हर रोज 4.50 लाख किलोग्राम दूध बेच रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि मराठवाड़ा क्षेत्र में डेयरी को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार साल 2023-24 और 2024-25 के दौरान “दुधारू पशुओं की आपूर्ति” को लागू कर रही है. केंद्र प्रायोजित योजना के तहत महाराष्ट्र राज्य सरकार के साथ साझेदारी में मंत्रालय द्वारा विभिन्न पशु रोगों का टीकाकरण किया जा रहा है.
केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), भारत सरकार (जीओआई) की राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) योजना के तहत चलाई जा रही कृत्रिम गर्भाधान (एआई) परियोजना में मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों को गुणवत्तापूर्ण एआई सेवाएं देने के लिए 273 एआई केंद्र बनाए गए हैं. एआई केंद्रों ने अब तक पारंपरिक वीर्य का इस्तेमाल करके करीब दो लाख एआई और सेक्स सॉर्टेड सीमन का इस्तेमाल करके 12024 एआई किए हैं. इन एआई से अब तक क्षेत्र में 20,979 आनुवंशिक रूप से बेहतर बछड़ों ने जन्म लिया है. दूध का लाभकारी मूल्य प्रदान करने और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए तकनीकी इनपुट देने के लिए एनडीडीबी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड (एमडीएफवीपीएल) परिचालन क्षेत्र में नांदेड़ जिले के 247 गांव शामिल हैं. दूध संग्रह के बुनियादी ढांचे में 187 दूध पूलिंग पॉइंट, 15 बल्क मिल्क कूलर और एक मिल्क चिलिंग सेंटर शामिल किया गया है.
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