Dairy: दिसंबर में चारे से लेकर बाड़े तक में पशुओं का ऐसे रखें खास ख्याल, जानें डिटेल

Dairy: दिसंबर में चारे से लेकर बाड़े तक में पशुओं का ऐसे रखें खास ख्याल, जानें डिटेल

पशुओं के टीकाकरण के अलावा केन्द्र और राज्यों की सरकार पशुपालकों की मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. पशु स्वस्थ केन्द्रों पर सुविधा देने के साथ ही घर आकर पशु का इलाज करने की सुविधा भी दी जाती है. हैल्प लाइन पर सिर्फ एक कॉल करने पर ही डॉक्टर और पैरा वैट की टीम पहुंच जाती है. 

Image of cowImage of cow
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Dec 10, 2023,
  • Updated Dec 10, 2023, 10:03 AM IST

कड़ाकी की सर्दी और खानपान के चलते दिसम्बर का महीना पशुओं की देखभाल के लिहाज से बहुत ही खास होता है. और एक खास बात ये कि इस दौरान पशु हीट में भी आता है. साथ ही गर्मी के मौसम में गाभिन कराए गए पशु इस दौरान बच्चा देने की हालत में होते हैं. पशुओं की सबसे ज्यादा खरीद-फरोख्त भी अक्टूबर से जनवरी और फरवरी के बीच खूब होती है. इस दौरान पशु बीमार भी होते हैं. बीमार होने पर दूध कम हो जाता है. पशुपालक को इसका खामियाजा आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ता है. 

लेकिन वक्त रहते कुछ ऐहतियाती कदम उठाकर इस तरह की परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है. साथ ही पशु भी हेल्दी रहेंगे. समय-समय पर सरकार और संबंधित विभाग की ओर से भी एडवाइजरी जारी की जाती है जिससे घर पर ही कुछ जरूरी कदम उठाकर पशुओं को राहत दी जा सके. 

इसे भी पढ़ें: National Milk Day: घी को लेकर अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी ने कही बड़ी बात, पढ़ें डिटेल

दिसम्बर में इन बातों का रखना होगा खास ख्या‍ल-

डॉक्टर की सलाह पर पशु पेट के कीड़ों की दवाई खिलाएं.

संतुलित आहार देने के साथ ही मिनरल मिक्चर भी जरूर दें.

बरसीम के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं, नहीं तो अफरा हो सकता है.

दिसम्बर में कड़ाके की ठंड पड़ती है, इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने का इंतजाम कर लें. 

सर्दी के मौसम में ज्यादातर भैंस हीट में आती हैं, ऐसा होते ही पशु को गाभिन कराएं. 

भैंस को मुर्राह नस्ल के नर से या नजदीकी केन्द्र पर कृत्रिम गर्भाधान कराएं. 

भैंस बच्चा देने के 60-70 दिन बाद दोबारा हीट में ना आए तो फौरन ही जांच कराएं. 

गाय-भैंस को जल्दी हीट में लाने के लिए मिनरल मिक्चर जरूर खिलाएं. 

पशुओं को बाहरी कीड़ों से बचाने के लिए बाड़े में दवाई का छिड़काव करें.  

दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें. 

पूरा दूध निकालने के बाद पशु के थन कीटाणु नाशक घोल में डुबाएं.

जाड़ों में बरसीम की फसल में 15 से 20 दिन के अंतर पर पानी लगाएं. 

जई की फसल में पहला पानी 20 से 25 दिन  पर लगाएं.  

बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर उसे बधिया करा दें.

इसे भी पढ़ें: Goat Milk: दूध के लिए पाली जाने वालीं बकरियों की नस्ल और उनकी कीमत, पढ़ें पूरी डिटेल 

NOHM के ये सात काम बचाएंगे आपके पशु को 

नेशनल वन हैल्थ मिशन (एनओएचएम) के तहत सात बड़े काम किए जाएंगे. जिसमे पहले नंबर पर नेशनल और स्टेट लेवल पर महामारी की जांच को संयुक्त टीम बनेगी. महामारी फैलने पर संयुक्तं टीम रेस्पांस करेगी.

नेशनल लाइव स्टॉक मिशन की तरह से सभी पशुओं के रोग की निगरानी का सिस्टम तैयार किया जाएगा. 

मिशन के रेग्यूलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने पर काम होगा. जैसे नंदी ऑनलाइन पोर्टल और फील्ड परीक्षण दिशा निर्देश हैं. 

महामारी फैलने से पहले लोगों को उसके बारे में चेतावनी देने के लिए सिस्टम बनाने पर काम होगा. 

नेशनल डिजास्टर मैंनेजमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जल्द से जल्द महामारी की गंभीरता को कम करना. 

प्राथमिक रोगों के टीके और उसका इलाज विकसित करने के लिए तय अनुसंधान कर उसे तैयार करना. 

रोग का पता लगाने के तय समय और संवेदनशीलता में सुधार के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी फार्मूले तैयार करना जैसे काम होंगे.

 

MORE NEWS

Read more!