Milk Competition: पहले 75 और अब 82 लीटर दूध, ये हरप्रीत की गाय हैं या मिल्क टैंकर

Milk Competition: पहले 75 और अब 82 लीटर दूध, ये हरप्रीत की गाय हैं या मिल्क टैंकर

प्रोग्रेसिव डेयरी फार्म एसोसिएशन (PDFA) द्वारा हर साल लुधि‍याना में मिल्किं्ग कम्पटीशन का आयोजन किया जाता है. इसमे गाय और भैंस दोनों ही हिस्सा लेती हैं. भैंस में मुर्राह और नीली रावी के बीच तो गायों में होल्सटीन फ्रिासियन (एचएफ) और जर्सी के बीच कम्पटीशन होता है. इस खबर में हम जिस गाय की बात कर रहे हैं वो एचएफ नस्ल की है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Feb 12, 2025,
  • Updated Feb 12, 2025, 11:25 AM IST

खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में इन दिनों 82 लीटर दूध देने वाली गाय की खूब चर्चा हो रही है. हाल ही में इस गाय ने लुधि‍याना में हुए मिल्किंरग कम्पटीशन में पहला इनाम जीता है. इनाम बतौर एक ट्रैक्टर गाय के मालिक हरप्रीत को दिया गया है. इनाम जीतने के बाद गाय से ज्यादा चर्चा हरप्रीत की भी है. ये कोई पहला मौका नहीं है जब हरप्रीत की किसी गाय ने ज्यादा दूध देने के मामले में पहला इनाम जीता है. बीते साल 2024 में भी हरप्रीत की गाय ने 75 लीटर दूध देकर पहला इनाम जीता था.

लगातार दो पहले पुरस्कार जीतने के बाद अब तो लोग भी कहने लगे हैं कि हरप्रीत की गाय हैं या मिल्क टैंकर. मोगा, पंजाब में नूरपुर हाकिम गांव के रहने वाले हरप्रीत बीते 27 साल से गायों का डेयरी फार्म चला रहे हैं. हरप्रीत का कहना है कि गायों के ज्यादा दूध देने के पीछे उनका अलग ढंग से डेयरी फार्म चलाना है.  

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अलग है हरप्रीत का पशुपालन करने का तरीका 

हरप्रीत ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि उनके पास इस वक्त करीब 250 गाय हैं. इसमे से 150 के करीब दूध दे रही हैं. ज्यादातर गाय का दूध उत्पादन इसी तरह का है. गायों के ज्यादा दूध देने के पीछे जो वजह है वो कोई एक नहीं है. इसमे हमने विदेशी मॉडल भी अपनाया है. जैसे हम हर वक्त गायों को खुला रखते हैं. फार्म पर गाय यहां-वहां आराम से घूमती रहती हैं. इस दौरान उनके चारा खाने और पानी पीने पर कोई रोक-टोक नहीं होती है. सुबह ही ऑटोमैटिक गाड़ी चारा खाने वाली जगह पर चारा डाल दिया जाता है. एक गाय के लिए करीब 70 किलो चारा डाला जाता है. इसमे से शाम तक एक-दो फीसद चारा ही बचता है. दिनभर पर चारा गायों के सामने रहता है. जब दिल करता है खाती हैं. और जब दिल करता है तो पानी पीती हैं. 

इतना ही नहीं हम हरा चारा, सूखा चारा और मिनरल्स अलग-अलग खाने को नहीं देते हैं. मशीन से मिलाकर टोटल मिक्स राशन (टीएमआर) की शक्ल में गायों को उनकी खुराक दी जाती है. हम सालभर हरे चारे पर निर्भर नहीं रहते हैं. ज्यादातर हम मक्का के साइलेज का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि गाय खुल्ला घूमती हैं तो इसके चलते वो तनाव मुक्त रहती हैं. इससे दूध उत्पादन तो बढ़ता ही है, साथ में बीमारियां भी कम हो जाती हैं और दवाईयों की लागत ना के बराबर रह जाती है. 

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