Bakrid: बकरीद के लिए ये तीन खास नस्ल के बकरे खरीदने जा रहे हैं तो ऐसे करें पहचान

Bakrid: बकरीद के लिए ये तीन खास नस्ल के बकरे खरीदने जा रहे हैं तो ऐसे करें पहचान

बकरीद के दौरान बाजार और हाट में रोजाना लाखों की संख्या में बकरों की खरीद-फरोख्त होती है. देश में बकरों की 41 रजिस्टर्ड नस्ल हैं. इसके अलावा हर राज्य में स्थानीय नस्ल भी होती हैं. लेकिन प्योर नस्ल के बकरों की पहचान कैसे हो. इसलिए जरूरी है कि जिस नस्ल का बकरा हम खरीदने जा रहे हैं उसके बारे में थोड़ी जानकारी कर लें.

Goat farm opened in AgraGoat farm opened in Agra
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 02, 2025,
  • Updated May 02, 2025, 11:14 AM IST

कुर्बानी के त्यौहार के बकरीद की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. बकरीद में अब सिर्फ एक महीना रह गया है. चांद दिखाई देने के नौ दिन बाद यानि 10 दिन बकरीद मनाई जाएगी और तीन दिन तक कुर्बानी की जाएगी. कुर्बानी में बकरे और भेड़ों का इस्तेमाल होता है. अपनी सहुलियत के हिसाब से मुस्लि मों ने भेड़ और बकरों की खरीदारी शुरू कर दी है. बकरीद के लिए हम जिन तीन खास नस्ल के बकरों की बात करने जा रहे हैं उन्हें कुर्बानी के लिए उत्तर भारत के अलावा देशभर के दूसरे राज्यों में भी खूब पसंद किया जाता है. 

तीनों ही बकरों को सोजत, गुजरी और करोली के नाम से जाना जाता है. लेकिन एक सवाल ये आता है कि बाजार और हाट में प्योर नस्ल के बकरों की पहचान कैसे करें. कैसे मालूम हो कि जो बकरे हम खरीद रहे हैं वो प्योर नस्ल के हैं या नहीं. 

100 किलो वजन को भी पार कर जाता है गुजरी बकरा 

गुजरी नस्ल खासतौर पर राजस्थान के अलवर में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे का औसत वजन 69 और बकरी का 58 किलो तक होता है. लेकिन ज्यादातर महाराष्ट्र में इस नस्ल  के बकरे की स्पेशल तरीके से खिलाई कर उसे वजनी बनाया जाता है. जानकारों की मानें तो बकरा 150 किलो के वजन को भी पार कर जाता है. इस नस्ल की बकरी रोजाना औसत 1.60 किलोग्राम तक दूध देती है. यह सफेद और भूरे रंग की होती है. इसके पेट, मुंह और पैर पर सफेद धब्बे होते हैं.

मीट के स्वाद के चलते हर राज्य में है सोजत की डिमांड 

सोजत नस्ल की बकरी नागौर, पाली, जैसलमेर और जोधपुर में पाई जाती है. यह जमनापरी की तरह से सफेद रंग की बड़े आकार वाली नस्ल की बकरी है. इसे खासतौर पर मीट के लिए पाला जाता है. इस नस्ल का बकरा औसत 60 किलो वजन तक का होता है. बकरी दिनभर में एक लीटर तक दूध देती है. सोजत की नार्थ इंडिया समेत महाराष्ट्रा में भी खासी डिमांड रहती है. 
छरहरी कद-काठी है करोली बकरे की पहचान 

कोटा, बूंदी, बांरा और सवाई माधोपुर में करोली नस्ल की बकरियों खूब पाली जाती हैं. औसत 1.5 लीटर तक दूध रोजाना देती हैं. लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो राजस्थान और यूपी के लोकल बाजारों में इसके मीट की खासी मांग है. इसका पूरा शरीर काले रंग का होता है. सिर्फ चारों पैर के नीचे का हिस्सा भूरे रंग का होता है. इसकी एक खास बात यह भी है कि सिर्फ मैदान और जंगलों में चरने पर ही यह वजन के मामले में अच्छा रिजल्ट देती है.

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