अब ज्यादातर पशुपालक गाय हो या भैंस उसे गाभिन कराने के लिए प्राकृतिक तरीके से ज्यादा कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के तरीके को अपना रहे हैं. इतना ही नहीं पशु नस्ल सुधार और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें भी एआई को बढ़ावा दे रही हैं. लेकिन, एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक एआई कराने के लिए पहले ये जान लेना जरूरी है कि पशु पूरी तरह से हीट में आया है या नहीं. हालांकि ये कोई मुश्कि ल काम भी नहीं है. जरूरत है बस उन दिनों में अलर्ट रहने की जब पशु के हीट में आने की संभावना हो.
क्योंकि एआई की सफलता दर इस बात पर भी निर्भर करती है कि पशु की हीट के दौरान ही उसका एआई किया जा रहा है. एआई से पहले वीर्य की क्वालिटी के बारे में भी जान लेना जरूरी होता है. इसके लिए एआई टेक्नीशियन के पास मौजूद सांड के दस्तावेज और सांड के कान में लगे इयर टैग की मदद ली जा सकती है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि वीर्य की क्वालिटी का पता लगाने के लिए सबसे पहले स्ट्रॉ पर हमे ये देखना चाहिए कि जहां से वो स्ट्रॉ आई है उस पर ए या बी ग्रेड लिखा हो. एआई टेक्नीशियन के पास बुल से जुड़ी जानकारी होती है उसे भी देख सकते हैं. साथ ही बुल के कान में लगे इयर टैग नंबर से भी क्वालिटी पता की जा सकती है.
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