गाय-भैंस का पालन हो या फिर भेड़-बकरी का, सभी का अर्थशास्त्र दूध-मीट और प्रजनन यानि बच्चा देने पर जुड़ा है. यही पशुपालक का मुनाफा है. अगर इसमे जरा सी भी कमी आती है या लागत बढ़ जाती है तो इसका सीधा-सीधा नुकसान पशुपालक को उठाना पड़ता है. और इसकी कई वजह हो सकती है. कई बार ये वजह छोटी होती हैं तो कभी-कभी बड़ी भी हो जाती हैं. लेकिन ऐसी ही एक छोटी सी दिखने वाली बीमारी है जो गाय-भैंस ही नहीं भेड़-बकरी के उत्पादन को भी प्रभावित करती है.
हालांकि इसका इलाज मुमकिन है, लेकिन अगर पशुओं की ठीक तरह से निगरानी कर ली जाए तो पशु इस बीमारी से पीडि़त ही नहीं होंगे. लेकिन कई बार जाने-अनजाने में छोटे-बड़े सभी तरह के पशु इसका शिकार हो जाते हैं. कई बार ये बीमारी आगे चलकर इतनी खतरनाक हो जाती है कि इसके चलते पशु की मौत भी हो जाती है. खासतौर पर बरसात के मौसम में इस बीमारी के पनपने की आशंका ज्यादा रहती है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थासन (सीआईआरजी), मथुरा के एनिमल एक्सपर्ट डॉ. अशोक कुमार ने किसान तक को बताया कि जब गाय-भैंस या फिर भेड़-बकरी खुराक से ज्यादा खाने लगे और उसकी उस हिसाब से ग्रोथ ना हो तो समझ जाएं कि उसके पेट में कीड़े हैं. लगातार खूब खाने के बाद दूध उत्पादन भी घट जाता है. असल में होता है ये कि जब पेट में कीड़े होते हैं तो वो पशु के द्वारा खाया गया खाना खा जाते हैं. पशु सुस्त रहने लगता है. अगर जल्द ही पशु के पेट में होने वाले कीड़ों की बीमारी पर ध्यान नहीं दिया जाए तो कई बार इसके चलते पशु की मौत भी हो जाती है. इसलिए जैसे ही ये पता चले कि पशु के पेट में कीड़े हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसके अलावा पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए समय-समय पर पेट के कीड़ों की दवा खिलवाते रहें. और खासतौर पर बरसात शुरू होने से पहले पशुओं को ये दवाई जरूर खिलाएं. सभी पशु स्वास्थ केन्द्रों पर ये दवा पशुओं को फ्री खिलाई जाती है.
एनिमल एक्सपर्ट डॉ. पवय्या ने बताया कि बकरियों में ये पता लगाना बहुत ही आसान है कि उसके पेट में कीड़े हैं या नहीं. लेकिन इसके लिए ये जरूरी है कि हम लगातार बकरियों की निगरानी करते रहें. अगर बकरी की आंख पहले गुलाबी हो रही है, फिर धीरे-धीरे आंख में सफेदपन आ रहा है तो इसका मतलब बकरी के पेट में कीड़े हैं और वो बकरी का खून चूस रहे हैं. पेट में कीड़े होना बकरे-बकरियों में बहुत ही परेशान करने वाली बीमारी है. पेट में अगर कीड़े होंगे तो उसके चलते बकरे-बकरियों की ग्रोथ रुक जाएगी. पशुपालक जितना भी बकरे-बकरियों को खिलाएगा वो उनके शरीर को नहीं लगेगा. इसके चलते बकरी का प्रजनन चक्र भी बिगड़ जाता है.
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